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October 9, 2025

सुक्खू सरकार का तबादला पॉलिसी में बड़ा बदलाव, पिछली तीन पोस्टिंग के आधार पर होगी ट्रांसफर

परफार्मा के बिना तबादला आदेश जारी होना- माना जाएगा नियमों का उल्लंघन

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Government Employees Last Three Postings Himachal

शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार लागू किया है। लंबे समय से कर्मचारियों द्वारा मनमाने तबादलों और राजनीतिक प्रभाव की शिकायतों के बीच सरकार ने अब स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

सुक्खू सरकार का व्यवस्था परिवर्तन

नई व्यवस्था के तहत अब किसी भी कर्मचारी का तबादला केवल उसके पिछले तीन कार्यस्थलों, वहां बिताए गए कार्यकाल और वर्तमान स्टेशन की श्रेणी (कठिन, सामान्य या दूरस्थ क्षेत्र) के आधार पर ही किया जा सकेगा।

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कैसे होंगे कर्मचारियों के तबादले?

इस संबंध में कार्मिक विभाग ने मौजूदा “व्यापक मार्गदर्शक सिद्धांत 2013” में नया प्रावधान जोड़ते हुए अधिसूचना जारी की है। आदेशों के मुताबिक, किसी भी तबादले का प्रस्ताव अब ‘ट्रांसफर परफार्मा’ के साथ ही स्वीकार किया जाएगा।

पिछले 3 साल की पोस्टिंग पर निर्भर

इस परफार्मा में कर्मचारी या अधिकारी को अपनी पिछली तीन नियुक्तियों का पूरा ब्यौरा, प्रत्येक स्थान पर बिताए गए वर्षों और महीनों की जानकारी, वर्तमान तैनाती की श्रेणी तथा प्रस्तावित स्थान का उल्लेख करना होगा। 

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नियमों का होगा उल्लंघन...

कार्मिक सचिव की ओर से सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, उपायुक्तों, मंडलायुक्तों और निगम-बोर्ड के प्रबंध निदेशकों को भेजे गए पत्र में साफ निर्देश दिए गए हैं कि अगर कोई अधिकारी परफार्मा के बिना तबादला आदेश जारी करता है, तो उसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

तबादलों पर रोक लगाना...

कार्मिक सचिव ने कहा कि इस नई प्रणाली का उद्देश्य मनमाने तबादलों पर रोक लगाना और प्रशासनिक व्यवस्था में संतुलन व निष्पक्षता लाना है। उन्होंने कहा कि अक्सर यह शिकायतें मिलती थीं कि कुछ कर्मचारी वर्षों तक एक ही स्थान पर टिके रहते हैं, जबकि कई अन्य को अल्प अवधि में बार-बार बदला जाता है। अब हर तबादले के पीछे एक दस्तावेजी औचित्य होगा, जो पूरे सिस्टम को जवाबदेह बनाएगा।

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कर्मचारियों के लिए समान अवसर

सरकार का मानना है कि यह सुधार न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि कर्मचारियों में समान अवसर की भावना को भी मजबूत करेगा। अब यह देखा जाएगा कि क्या संबंधित कर्मचारी ने वर्तमान तैनाती स्थल पर न्यूनतम कार्यकाल पूरा किया है या नहीं, और क्या उसके स्थानांतरण की कोई वास्तविक प्रशासनिक या सार्वजनिक आवश्यकता है।

 

कार्मिक विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ट्रांसफर परफार्मा को हर तबादले के रिकॉर्ड का हिस्सा बनाया जाएगा ताकि भविष्य में किसी ऑडिट या जांच के दौरान उसे प्रस्तुत किया जा सके। इससे तबादलों में राजनीतिक या व्यक्तिगत प्रभाव की संभावना काफी हद तक समाप्त हो जाएगी।

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गौरतलब है कि “व्यापक मार्गदर्शक सिद्धांत 2013” हिमाचल सरकार की वह नीति है जो राज्य के कर्मचारियों के स्थानांतरण, कार्यकाल, कठिन क्षेत्र नीति और प्रशासनिक औचित्य से जुड़ी प्रक्रियाओं को परिभाषित करती है। अब इस नीति में किए गए नए संशोधन से उम्मीद है कि राज्य में तबादलों का पूरा सिस्टम और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनेगा।

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