#यूटिलिटी
November 3, 2025
हिमाचल में आज बस ऑपरेटर्स की हड़ताल : बच्चों को पैदल पहुंचना पड़ा स्कूल, जनता परेशान
बस स्टैंड और सड़क किनारे सवारियों की भीड़ लगी रही
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला आज से परिवहन संकट की चपेट में आ गई है। प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है, जिसके चलते आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शहर की मुख्य सड़कों पर सुबह से ही बसों का संचालन ठप रहा, जिससे स्कूली बच्चे, दफ्तर जाने वाले कर्मचारी और आम यात्री पैदल चलने को मजबूर दिखे। बसों की हड़ताल के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्राइवेट बस ऑपरेटरों की मुख्य मांग है कि 40 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली बसों को शहर के पुराने बस अड्डे में एंट्री न दी जाए। उनका कहना है कि लंबी दूरी की बसें सीधे ISBT टुटीकंडी से ही चलनी चाहिए, ताकि शहर में बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम किया जा सके।
ऑपरेटरों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन इस मांग को लेकर गंभीर नहीं हैं, जबकि इससे शहर में यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है। प्राइवेट ऑपरेटरों का दूसरा बड़ा विरोध स्कूल बसों में सामान्य सवारियां बिठाए जाने को लेकर है।
उनका कहना है कि स्कूल बसों को केवल बच्चों की आवाजाही तक सीमित रहना चाहिए, लेकिन शहर में कई स्कूल बसें नियमित रूट पर सवारियां ढो रही हैं, जिससे उनके व्यवसाय पर सीधा असर पड़ रहा है। इस मुद्दे पर 12 अक्टूबर को RTO शिमला के साथ बैठक भी हुई थी, लेकिन उस बैठक में जो वादे किए गए थे, वे अब तक पूरे नहीं हुए।
शिमला में रोजाना 160 से अधिक प्राइवेट बसें अलग-अलग रूटों पर चलती हैं, जिन पर हजारों लोग रोज़ सफर करते हैं। हड़ताल के चलते आज सुबह से बस स्टैंड और सड़क किनारे सवारियों की भीड़ लगी रही। सरकारी HRTC बसें सीमित संख्या में होने के कारण सभी रूटों को कवर नहीं कर पा रहीं। कई इलाकों में लोग बसों का इंतजार करते-करते थक गए और अंत में पैदल ही अपने गंतव्य की ओर निकल पड़े।
हड़ताल के पहले ही दिन शहर में यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमराई रही। न्यू शिमला, संजौली, टूटीकंडी, समरहिल और ढली जैसे क्षेत्रों से आने-जाने वाले लोगों को सबसे अधिक दिक्कत हुई। ऑफिस और स्कूलों में देरी से पहुंचने वाले लोगों की संख्या भी बड़ी रही।
शिमला में प्राइवेट और सरकारी बस ऑपरेटरों के बीच समय सारणी को लेकर टकराव नया नहीं है। ऑपरेटरों का कहना है कि एचआरटीसी की बसें तय समय से पहले या बाद में बिना अनुसूची के चलाई जा रही हैं, जिससे उनके निर्धारित रूटों पर नुकसान होता है। वहीं, विभागीय अधिकारी अब तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं कर पाए हैं जिससे इस विवाद को स्थायी रूप से सुलझाया जा सके।
हड़ताल की कोई तय समय सीमा नहीं है। प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने स्पष्ट कहा है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, बसें सड़कों पर नहीं उतरेंगी। अगर यह स्थिति कुछ दिनों तक बनी रही, तो स्कूली बच्चों और आम यात्रियों के लिए यह संकट और गहरा जाएगा। इस बीच, प्रशासन ने लोगों से संयम बरतने और वैकल्पिक साधनों का उपयोग करने की अपील की है। मगर फिलहाल शिमला की सड़कों पर बसों की जगह बेबस यात्रियों की भीड़ ही दिखाई दे रही है।