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September 17, 2025
हिमाचल के चार जिलों पर अगले 12 घंटे भारी, जानें कहां कहां जारी हुआ ऑरेंज अलर्ट
कल से मानसून की रफ्तार होगी धीमी
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शिमला। हिमाचल प्रदेश से मानसून की विदाई का समय आ गया है। लेकिन मानसून जाते जाते भी भारी तबाही मचा रहा रहा है। मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश के चार जिलों में अगले 12 घंटों में भारी बारिश की संभावना है। हालांकि उसके बाद मानसून के कमजोर पड़ने की संभावना है। मौसम विभाग की मानें तो ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर और कांगड़ा जिलों में अगले 12 घंटे तक भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। प्रशासन ने लोगों को जलभराव और बाढ़ की आशंका को देखते हुए सतर्क रहने की सलाह दी है। अन्य जिलों में रात को हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार कल से मानसून कमजोर पड़ना शुरू होगा और 23 सितंबर तक किसी भी जिले में बारिश का अलर्ट नहीं है। आज दिनभर चेतावनी के बावजूद अधिकांश क्षेत्रों में मौसम साफ रहा। मंडी जिले के धर्मपुर क्षेत्र में मंगलवार को हुई भीषण वर्षा के चलते हुए नुकसान को देखते हुए बुधवार को सब.डिवीजन के सभी शिक्षण संस्थान बंद रहे। कुल्लू जिले के मनाली और बंजार उपमंडलों में भी एहतियातन स्कूल.कॉलेजों की छुट्टी घोषित की गई।
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धर्मपुर में मंगलवार रात भारी बारिश के बाद तबाही का मंजर देखने को मिला। यहां पांच से छह प्रवासी श्रमिकों के बह जाने की आशंका जताई जा रही है। ये लोग देर रात तक बस स्टैंड क्षेत्र के आसपास दिखाई दिए थे, लेकिन तेज बारिश और मलबा गिरने के बाद उनका कोई पता नहीं चला। पुलिस और राहत दल लगातार तलाश में जुटे हैं। इस घटना में एक ट्रैवलर वाहन चालक और एक मेडिकल स्टोर संचालक भी लापता बताए जा रहे हैं।
इस वर्ष 1 जून से 16 सितंबर के बीच प्रदेश में सामान्य से 46 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। सामान्यत: इस अवधि में 692.1 मिमी बारिश होती है, जबकि इस बार आंकड़ा 1,010.9 मिमी तक पहुंच गया। शिमला जिले में सामान्य से 109 प्रतिशत और कुल्लू में 108 प्रतिशत ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई, जिससे भूस्खलन और अन्य आपदाओं का खतरा बढ़ा।
प्रदेश सरकार के अनुसार, 20 जून से 17 सितंबर तक के आंकड़े बताते हैं कि इस मानसून सीजन में अब तक लगभग ₹4,595 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ है। इस अवधि में 419 लोगों की जान गई, 479 लोग घायल हुए, जबकि 45 अभी भी लापता हैं। सड़कों पर हुई दुर्घटनाओं में 182 लोगों की मौत दर्ज की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक 587 पक्के और 934 कच्चे मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं, जबकि 2,150 पक्के और 4,639 कच्चे मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा। 583 दुकानें और 6,515 गोशालाएं भी प्रभावित हुई हैं। 2,410 मवेशियों की मौत ने किसानों को गहरा आर्थिक झटका दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अब जबकि मानसून धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है, सरकार और स्थानीय प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती राहत, पुनर्वास और क्षतिग्रस्त ढांचों की मरम्मत की है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी जिलों से ताजा नुकसान का ब्यौरा तलब किया है।