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September 17, 2025
हिमाचल: धर्मपुर त्रासदी की माता के गूर ने पहले ही कर दी थी भविष्वाणी, लोगों ने हलके में ली
धर्मपुर में आई त्रासदी के बाद माता के दरवार पहुंचे सैंकड़ो लोग मांगी माफ
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धर्मपुर (मंडी)। हिमाचल प्रदेश में लगातार बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं ने एक बार फिर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम कहीं अपनी परंपराओं और देवी.देवताओं की चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। धर्मपुर में 15 सितम्बर की रात आई भीषण बाढ़ ने पूरे क्षेत्र को तहस.नहस कर दिया। इस आपदा के बाद स्थानीय लोग जून माह में हुए बाकर साजे मेले की उस भविष्यवाणी को याद कर सहम गए हैं, जिसमें शीतला माता के गूर ने चेताया था कि यदि मर्यादाओं का पालन न किया गया तो धर्मपुर में महाप्रलय आएगी, जिससे मैं भी नहीं बचा पाउंगी।
उस समय अधिकांश लोगों ने इसे केवल आस्था और धार्मिक परंपरा का हिस्सा मानकर हल्के में लिया। लेकिन अब जब बाढ़ ने भारी तबाही मचाई, घरों और खेतों को बहा ले गई, तो लोगों को लग रहा है कि देवी की कही हुई बातें सच साबित हो रही हैं।
आपदा के अगले ही दिन भारी संख्या में श्रद्धालु शीतला माता मंदिर प्रांगण में एकत्र हुए और माता से इस तरह की तबाही रोकने की गुहार लगाई। गूर के माध्यम से माता ने एक बार फिर चेतावनी देते हुए कहा कि मर्यादाओं में रहो, उल्लंघन मत करो। अगर अब भी नहीं सुधरे तो दोबारा अवसर नहीं मिलेगा।
स्थानीय लोग इस संदेश को देवी.देवताओं की कठोर चेतावनी मान रहे हैं। उनका मानना है कि समाज अपने आचरण और जीवनशैली में जिस तरह की लापरवाहियां कर रहा है, वही प्राकृतिक आपदाओं के रूप में सामने आ रही हैं।
यह कोई पहला मामला नहीं है, जब हिमाचल में प्राकृतिक आपदा से पहले देवी देवताओं ने भविष्वाणी ना की हो। इससे पहले मणिमहेश यात्रा के दौरान आई भीषण तबाही से पहले भी भरमाणी माता के गुर ने चेतावनी दी थी कि इस बार मणिमहेश का शाही स्नान नहीं होने दूंगी। माता की भविष्वाणी भी सच साबित हुई और मणिमहेश यात्रा के दौरान आई भीषण आपदा ने रास्तों को ही तहस नहस कर दिया जिसके चलते इतिहास में पहली बार मणिमहेश की डल झील में शाही स्नान नहीं हुआ और चंबा के चौगान में छड़ी की पूजा की गई थी।
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विशेषज्ञ भी मानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में बार-बार होने वाली बादल फटने की घटनाएं, भूस्खलन और बाढ़ केवल प्राकृतिक कारणों से ही नहीं] बल्कि मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ की जा रही छेड़छाड़ का भी परिणाम हैं। लेकिन यहां की लोक आस्था इस वैज्ञानिक तथ्य के साथ जुड़कर और गहरी हो जाती है। लोग मानते हैं कि जब हम देवी-देवताओं के संदेशों को नज़रअंदाज़ करते हैं तो प्रकृति का कोप भी बढ़ता है।
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आज सवाल यही है कि क्या धर्मपुर जैसी त्रासदियां प्रदेश के लोगों को आत्ममंथन के लिए मजबूर करेंगी? क्या लोग अपनी गलतियों से सबक लेकर देवी-देवताओं की चेतावनियों और प्रकृति की सीमाओं का सम्मान करेंगे, या फिर हिमाचल को लगातार बढ़ती आपदाओं का सामना करना पड़ेगा?