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July 7, 2025
आपदा में घिरे हिमाचल को बड़ी राहत: कमजोर पड़ा मानसून, जानें कितने दिन खिलेगी धूप
प्रदेश के चार जिलों में है बारिश का येलो अलर्ट अन्य जिलों में साफ रहेगा मौसम
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश में मानसून की रफ्तार फिलहाल धीमी पड़ती नजर आ रही है। मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार आगामी कुछ दिनों तक राज्य के अधिकतर हिस्सों में भारी बारिश की संभावना कम है। 10 जुलाई तक मैदानी और मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं.कहीं हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है, जबकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी सीमित स्थानों पर ही वर्षा के आसार हैं। 11 और 12 जुलाई को प्रदेश के किसी भी जिले में भारी बारिश की चेतावनी नहीं दी गई है।
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इस मानसूनी ठहराव ने जहां आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत की उम्मीद जगाई है, वहीं प्रशासन के लिए यह समय सड़कों की बहाली और पेयजल योजनाओं की मरम्मत के लिए अनुकूल माना जा रहा है। अभी भी प्रदेश में 235 सड़कें यातायात के लिए बंद हैं, जबकि जल शक्ति विभाग की 174 योजनाएं बाधित हैं।
मौसम विभाग के अनुसार ऊना, बिलासपुर, सोलन और सिरमौर जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में ना के बराबर बारिश होने की संभावना है। ऊना, बिलासपुर और सोलन में 7 से 9 जुलाई तक कुछ स्थानों पर भारी बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं सिरमौर में 7 से 10 जुलाई तक भारी बारिश को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। बाकी अन्य आठ जिलों में मौसम शांत रहने की उम्मीद है, जिससे राहत एवं बचाव कार्यों को गति मिलने की संभावना है।
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मानसून की तीव्रता में कमी आने के साथ ही बचाव कार्य तेज हो गए हैं। सोमवार को भारतीय सेना के 20 जवानों की एक टीम आपदा से बुरी तरह प्रभावित भन्याड़ गांव के लिए रवाना हुई, जो 20 राशन किट और अन्य जरूरी सामग्री लेकर मौके पर पहुंची। वहीं आईटीबीपी के 30 जवानों ने पखरेर पंचायत के लिए राशन और मेडिकल किट की आपूर्ति शुरू की है।
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20 जून से 6 जुलाई के बीच हिमाचल में मानसून का कहर कई परिवारों को उजाड़ चुका है। इस दौरान राज्य में कुल 78 लोगों की मौत हुई है, जिनमें:-
हिमाचल की सबसे गंभीर आपदा फिलहाल मंडी जिले में देखने को मिली है, जहां 30 जून की रात को आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन ने तबाही मचा दी। अब तक इस घटना में 14 शव बरामद हो चुके हैं और 30 लोग लापता हैं। जिले में 225 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हुए हैं, 243 गौशालाएं नष्ट हो चुकी हैं और बड़ी संख्या में सड़कें और पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हैं।