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July 17, 2025
मणिमहेश यात्रा : हेलीकॉप्टर में आना-जाना हुआ सस्ता, जानें कितना देना होगा किराया
16 अगस्त से शुरू होगी मणिमेहश यात्रा
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चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित पवित्र मणिमहेश यात्रा इस बार कुछ नए नियमों के साथ शुरू होने जा रही है। इस साल ये यात्रा 16 अगस्त से विधिवत आरंभ होगी- जो कि 31 अगस्त तक चलेगी। भरमौर उपमंडल के हड़सर गांव से शुरू होने वाली इस कठिन और पावन यात्रा की तैयारियों में प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है।
हर साल लाखों श्रद्धालु इस आध्यात्मिक यात्रा पर निकलते हैं, जो धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम मानी जाती है। श्रद्धालुओं को इस बार हेली टैक्सी सेवा के किराये में राहत दी गई है।
भरमौर से गोरीकुंड तक आने-जाने का किराया अब ₹6500 तय किया गया है, जो पिछले वर्ष करीब ₹8000 था। चंबा के उपायुक्त मुकेश रेपसवाल के अनुसार, हेली सेवा का टेंडर पूरा हो चुका है और ऑनलाइन बुकिंग भी शुरू कर दी गई है। यह सेवा यात्रा आरंभ होने से तीन दिन पहले उपलब्ध होगी। श्रद्धालुओं से आग्रह किया गया है कि बुकिंग केवल अधिकृत पोर्टल से ही करें ताकि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सके।
जो श्रद्धालु पैदल यात्रा का विकल्प चुनते हैं, उन्हें हड़सर से मणिमहेश झील तक करीब 14 किलोमीटर लंबी और ऊबड़-खाबड़ चढ़ाई तय करनी होती है। ऊंचाई बढ़ने के साथ ऑक्सीजन की कमी और मौसम की बेरुखी, दोनों ही इस यात्रा को और चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। इस मार्ग में भोजन, टेंट, चिकित्सा और सुरक्षा की उचित व्यवस्था की जा रही है।
विदित रहे कि, हर साल 6 से 7 लाख श्रद्धालु मणिमहेश यात्रा करने आते हैं। शिवभक्तों के लिए समुद्र तल से करीब 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश झील में स्नान करना मोक्ष का प्रतीक माना जाता है।
इस यात्रा में शामिल होने वाले हर श्रद्धालु को इस बार एंट्री कम सेनिटेशन शुल्क देना होगा। यह पहला मौका है जब मणिमहेश यात्रा पर ऐसा शुल्क लगाया गया है। इस बार की यात्रा में प्रशासन द्वारा यात्रियों से 100 रुपए का एंट्री कम सेनिटेशन शुल्क लिया जाएगा। यह शुल्क आपसे एंट्री गेट पर ही लिया जाएगा। जिसे देने के बाद ही श्रद्धालु अपनी यात्रा को शुरू कर पाएंगे।
प्रशासन का दावा है कि यह राशि श्रद्धालुओं के मार्ग में साफ-सफाई और पर्यावरणीय संरक्षण पर खर्च की जाएगी। इस निर्णय को ईको डेवलपमेंट कमेटी मणिमहेश की बैठक में मंजूरी दी गई है, जिसमें व्यापारियों और स्थानीय लोगों की भागीदारी भी रही।
श्रद्धालु और स्थानीय व्यापारी इस नए नियम को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दे रहे हैं-