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August 2, 2025
हिमाचल: शराब पीने वालों के लिए बड़ी खबर: एक क्लिक में खुलेगा हर बोतल का राज; जानें कैसे
स्कैन करते ही बनने से लेकर खरीदने तक की मिलेगी जानकारी
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में शराब पीने के शौकीन लोगों के लिए अच्छी खबर है। शराब खरीदने वाले लोग अब एक क्लिक पर बोतल में भरी शराब की पूरी जानकारी हासिल कर सकेंगे। जिसमें शराब की गुणवत्ता से लेकर वह कब बनी है और कहां बनी है के बारे में पता चल सकेगा। इसके अलावा असली और नकली शराब की भी पहचान हो सकेगी। हिमाचल की सुक्खू सरकार अब शराब बिक्री में पारदर्शिता लाने के लिए नई व्यवस्था करने जा रही है।
दरअसल सरकार ने शराब की बिक्री को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए एक नई तकनीकी व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। अब प्रदेश में बिकने वाली हर शराब की बोतल पर विशेष होलोग्राम के साथ क्यूआर कोड अनिवार्य होगा। इस कदम का उद्देश्य नकली और अवैध शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाना है। यह नई व्यवस्था वर्ल्ड बैंक द्वारा वित्त पोषित ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के तहत प्रदेश में लागू की जा रही है।
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आबकारी एवं कर विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस पहल के तहत अगले एक साल में 10 करोड़ होलोग्राम तैयार किए जाएंगे। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन के माध्यम से योग्य कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।
नई व्यवस्था के तहत हिमाचल में बिकने वाली शराब की हर बोतल को अब यूनिक सिक्योरिटी होलोग्राम और क्यूआर कोड के जरिए ट्रैक किया जाएगा। बॉटलिंग प्लांट से शराब की बोतल निकलते ही उस पर यह होलोग्राम और क्यूआर कोड चस्पा कर दिया जाएगा। इसके अलावा शराब के बॉक्स पर बारकोड भी लगाया जाएगा, जिसे गोदाम में पहुंचने पर दोबारा स्कैन किया जाएगा। इससे शराब की हर खेप की आवाजाही को ट्रैक किया जा सकेगा।
जब शराब की पेटियां डिपो और फिर वहां से रिटेल दुकानों तक पहुंचेंगी, तब भी बैच नंबर और बारकोड के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शराब वैध रूप से अपने गंतव्य तक पहुंची है या नहीं। इससे नकली और अवैध तरीके से दूसरे राज्यों से लाई जाने वाली अवैध शराब की तस्करी पर रोक लगेगी।
इस डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा। शराब खरीदने वाले ग्राहक अब दुकान पर ही मोबाइल फोन के जरिए बोतल पर लगे क्यूआर कोड और होलोग्राम को स्कैन कर सकेंगे। स्कैन करते ही शराब खरीदने वाले को शराब किस बॉटलिंग प्लांट में बनी है, किस तारीख को पैक की गई और क्या यह वैध है या नहीं इसकी पूरी जानकारी मिलेगी।
प्रदेश के आबकारी आयुक्त डॉ यूनुस के अनुसार यह नई व्यवस्था राज्य सरकार के राजस्व को बढ़ाने के साथ.साथ अवैध शराब के कारोबार पर नकेल कसने में भी कारगर होगी। अब तक प्रदेश में बाहरी राज्यों से नकली और बिना लाइसेंस वाली शराब की तस्करी एक बड़ी समस्या बनी हुई थी। लेकिन डिजिटल ट्रैकिंग से अब हर एक बोतल की पहचान संभव हो सकेगी।
डॉ यूनुस ने बताया कि ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम लागू होने से न केवल राज्य की वित्तीय व्यवस्था सुदृढ़ होगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी शुद्ध और प्रमाणिक उत्पाद उपलब्ध हो सकेंगे।
हिमाचल प्रदेश सरकार की यह तकनीकी पहल न सिर्फ शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे अवैध कारोबार पर भी प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी। आने वाले समय में यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।
नोट: - शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हमारा मकसद किसी को भी शराब पीने के लिए प्रेरित करना नही है। हमारा मकसद सिर्फ लोगों को जागरूक करना है, ताकि वह शराब बोतल पर लगे होलोग्राम और क्यूआर कोड से शराब की असली नकली की पहचान कर सकें