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August 10, 2025
हिमाचली अपने गुस्से पर करें काबू, अपशब्द कहने पर मिल सकती है इतनी सजा
दो साल तक की सजा का प्रावधान
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के लोगों को अपने गुस्से पर काबू रखने की जरूरत है। अगर काबू नहीं रहा तो आपको कानूनी रूप से मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं ऐसा कब और क्यों हो सकता है।
भारत में गाली देना सिर्फ सामाजिक रूप से नहीं बल्कि कानूनी रूप से भी अपराध माना जाता है। ऐसा तब होता है जब किसी पब्लिक प्लेस पर किसी को गाली दी जाती है या फिर ऐसा जानबूझकर किसी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए किया जाए। फिर किसी को अगर ये बुरा लगता है तो गाली देने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
गाली देने के मामले में पीड़ित आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकता है। ये शिकायत भारतीय न्याय संहिता की धारा-356 के तहत दर्ज की जाती है। इस धारा के तहत पब्लिक प्लेस पर अश्लील भाषा का इस्तेमाल करना जुर्म है। अगर कोई इस अपराध का दोषी पाया जाता है तो उसे तीन महीने की कैद, जुर्माना या दोनों सजाएं भी हो सकती हैं।
गाली देने का मामला तब और गंभीर हो जाता है जब गाली में जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल या भेदभाव की टिप्पणी की गई हो। ऐसे में अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम यानी SC-ST एक्ट के तहत भी शिकायत दर्ज हो सकती है।
धारा-351 के तहत गाली-गलौज के जरिए किसी को जानबूझकर उकसाया गया हो और इससे शांति भंग हुई हो तो भी ये जुर्म माना जाएगा। इसमें दो साल की सजा, जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं।
धारा-357 के मुताबिक अगर अपशब्द किसी महिला की मर्यादा को भंग करने के इरादे से कहे गए हों तो ये भी जुर्म माना जाएगा। इस तरह के मामले में एक साल की सजा, जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं।