#यूटिलिटी
December 11, 2025
महंगाई में राहत बना सुक्खू सरकार का फैसला : नहीं बढ़ेंगे बिजली के रेट, 125 यूनिट मिलेंगे फ्री
बोर्ड का 8,635 करोड़ घाटा भी नहीं रोक पाया राहत
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शिमला। महंगाई के इस दौर में जब आम आदमी अपनी जेब को लेकर सबसे ज्यादा दबाव में है ऐसे में हिमाचल सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं को एक बड़ी राहत दी है। 2026 में बिजली की दरें नहीं बढ़ेंगी। यह फैसला ऐसे समय आया है जब बिजली बोर्ड खुद अब तक के सबसे बड़े अनुमानित वित्तीय घाटे से गुजर रहा है।
ऊर्जा विभाग की फाइलों में यह बात स्पष्ट है कि हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड का अनुमानित राजस्व घाटा वर्ष 2026–27 के लिए 8,635 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
यह घाटा तीन बड़े कारणों से बना है-
इसके बावजूद, CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बोर्ड को साफ निर्देश दिए कि घरेलू बिजली दरें बढ़ाना विकल्प नहीं है। इसके बाद बोर्ड ने यथावत दरें रखने का प्रस्ताव तैयार कर विद्युत विनियामक आयोग में पिटीशन दायर कर दी है। सरकार का तर्क यह है कि वित्तीय बोझ वह खुद वहन करेगी, ताकि बढ़ी हुई लागत का असर लोगों की जेब पर न पड़े।
प्रदेश के लाखों घरेलू उपभोक्ताओं के लिए राहत का बड़ा पहलू यह है कि 125 यूनिट तक बिजली बिल्कुल मुफ्त मिलती रहेगी।
125 यूनिट से ऊपर
सरकार ने पहले 2025 में 15 पैसे प्रति यूनिट रेट घटाया था और अब 2026 में पूरे साल दरें फ्रीज करके स्थिर रखने का फैसला लिया है।
हिमाचल सरकार सब्सिडी संरचना में बड़ा बदलाव ला रही है। एक उपभोक्ता को केवल चार घरेलू बिजली मीटरों तक ही सब्सिडी दी जाएगी। इससे अधिक मीटर होने पर सब्सिडी बंद हो जाएगी।
सरकार के अनुसार इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सब्सिडी केवल पात्र, गरीब और सही मायनों में जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचे। आर्थिक रूप से सक्षम लोग सरकारी सपोर्ट का गलत फायदा न उठाएं। साथ ही ऊर्जा विभाग का दावा है कि इससे सब्सिडी का बोझ नियंत्रित होगा और राज्य का वित्त संतुलन भी सुधरेगा।
यह फैसला सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक मायनों में भी अहम है। प्रदेश में महंगाई और बिजली बिलों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा था। ऐसे में उपभोक्ताओं पर एक रुपये का भी बोझ न डालने का निर्णय सरकार के लिए 2027 विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा पब्लिक-सेंट्रिक संदेश और ग्रामीण वोटरों के लिए स्थिरता का भरोसा भी है। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि बिजली, पानी और प्राकृतिक संसाधन हिमाचल की मजबूती हैं और इनसे होने वाली कमाई का सीधा लाभ जनता तक पहुंचेगा।
बोर्ड की वित्तीय स्थिति बिगड़ने के बावजूद, सरकार ने वादा किया है कि बोर्ड की आवश्यकताओं की भरपाई राज्य सरकार करेगी। उपभोक्ता पर एक रुपये का अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जाएगा। यानी घाटे की भरपाई बोर्ड नहीं, सरकार करेगी। यह कदम वित्तीय अनुशासन और जनसरोकार के बीच संतुलन साधने की कोशिश माना जा रहा है।