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July 18, 2025
हिमाचल में बढ़ रहा है नकली दवाओं का कारोबार, ऐसे करें असली दवाओं की पहचान
बाजार में बढ़ती नकली दवाओं की चुनौती
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में आज के समय जहां एक ओर चिकित्सा क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति हो रही है, वहीं दूसरी ओर नकली दवाओं का कारोबार भी उतनी ही तेज़ी से फैल रहा है। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि आम जनता की सेहत के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है। किसी भी बीमारी से लड़ने में दवाओं की भूमिका बेहद अहम होती है, लेकिन अगर वही दवाएं गलत या नकली निकलें तो इलाज की जगह बीमारी और बढ़ सकती है।
देश के कई हिस्सों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां मेडिकल स्टोरों पर असली के नाम पर नकली दवाएं बेची जा रही हैं। ये दवाएं देखने में बिल्कुल असली जैसी होती हैं, पैकिंग से लेकर टैबलेट के रंग और आकार तक। यही वजह है कि, आम लोग इनके झांसे में आसानी से आ जाते हैं।
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लेकिन इन दवाओं का सेवन कई बार शरीर पर गंभीर असर डाल सकता है। इससे एलर्जी, अंगों पर दुष्प्रभाव, यहां तक कि जान का खतरा भी हो सकता है। नकली दवाओं से बचने के लिए कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे आसानी से नकली दवाओं की पहचान हो सके।
नकली दवाएं अक्सर सस्ते और घटिया कवर में आती हैं। उनकी पैकिंग असली दवाओं की तरह साफ और सुनियोजित नहीं होती। कई बार स्पेलिंग में गलतियां, ब्रांड के नाम में हल्का बदलाव या टेढ़ा-मेढ़ा प्रिंट भी देखने को मिल सकता है।
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असली दवाओं पर स्पष्ट रूप से MRP, निर्माण यानी MFG और समाप्ति तिथि यानी EXP दर्ज होती है। अगर यह जानकारी धुंधली, अधूरी या गायब हो तो सतर्क हो जाएं। यह नकली दवा होने का बड़ा संकेत हो सकता है।
आजकल ज़्यादातर ब्रांडेड दवाओं पर QR कोड या बारकोड मौजूद होता है। आप इसे मोबाइल से स्कैन कर सकते हैं और देख सकते हैं कि दवा किस कंपनी की है, उसकी प्रामाणिकता क्या है। नकली दवाओं में ये कोड या तो होते ही नहीं या स्कैन करने पर जानकारी नहीं मिलती।
किसी भी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदते समय बिल लेना न भूलें। बिल देना दुकानदार की ज़िम्मेदारी है और इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि उसने पंजीकृत स्रोत से दवा खरीदी है। अगर कोई दुकानदार बिल देने से इनकार करता है, तो वहां से दवा खरीदने से बचें।
दवा लेने के बाद उसे अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट को एक बार दिखा देना एक अच्छी आदत है। वे विशेषज्ञ होते हैं और दवा की असलियत को जल्दी पहचान सकते हैं।