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July 18, 2025

सेब बगीचों पर नहीं चलेगी आरी, सीएम सुक्खू ने बुलाई थी इमरजेंसी मीटिंग, यह लिया फैसला

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी सुक्खू सरकार

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CM Sukhu Call Meeting

शिमला। शिमला। हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश पर पेड़ों को काटा जा रहा है। जिसको लेकर आज सीएम सुक्खू ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी। हालांकि इस बैठक में तबीयत खराब होने के चलते सीएम सुक्खू उपस्थित नहीं हुए। जिसके चलते मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में यह बैठक हुई। जिसमें फैसला लिया गया कि हिमाचल सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सेब बागीचों का कटान रोकने के लिए याचिका दायर करेगी। इस बैठक में ठियोग के विधायक कुलदीप सिंह राठौर के अलावा सेक्रेटरी लॉ, सेक्रेटरी फॉरेस्ट, सेक्रेटरी हॉर्टिकल्चर और एडवोकेट जनरल शामिल हुए।

 

बता दें कि  हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर अवैध रूप से लगाए गए सेब के बगीचों की कटाई को लेकर प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। हाईकोर्ट के आदेश पर अब तक करीब 3700 सेब के पौधे काटे जा चुके हैं, जबकि वन भूमि पर बने कई घरों को भी सील कर दिया गया है। इस संवेदनशील मुद्दे को लेकर अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज शाम 6 बजे इमरजेंसी बैठक बुलाई थी।

सुप्रीम कोर्ट जाने पर होगा विचार

सूत्रों के अनुसार सीएम सुक्खू द्वारा बुलाई गई इस बैठक में सेब उत्पादक क्षेत्रों के विधायक, उच्च प्रशासनिक अधिकारी और राज्य सरकार के कानूनी सलाहकार मौजूद रहेंगे। बैठक में यह तय किया जाएगा कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में कैसे चुनौती दी जाए। बता दें कि दिल्ली से लौटने के बाद सीएम सुक्खू ने पेड़ो को काटने पर स्पष्ट कहा था कि सरकार पेड़ों के काटने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों.बागवानों के हितों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता है।

 

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सावन में पौधों की कटाई अमानवीय

इस पूरे घटनाक्रम पर ठियोग के विधायक और पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेशों पर टिप्पणी करना उचित नहीं है, लेकिन सावन के पवित्र महीने में फलदार पौधों को काटना अमानवीय है। राठौर ने कहा कि बरसात के इस मौसम में लोगों को बेघर करना लोकतांत्रिक संवेदनाओं के खिलाफ है और अगर यह कार्रवाई कुछ महीनों बाद होती तो बेहतर होता।

 

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शांता कुमार ने कहा था कब्जे में लो, काटो मत

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भी सेब से लदे पेड़ों को काटने पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने इस मसले पर एक संतुलित और व्यावहारिक सुझाव दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार इन बागानों पर कुल्हाड़ी चलाने की बजाय उन्हें अपने नियंत्रण में ले और वन विभाग के अधीन कर दे। इससे न केवल हरियाली बचेगी, बल्कि सरकार को आय का भी स्रोत मिलेगा।

शांता कुमार ने कहा कि उन्हें कई लोगों ने फोन कर अपनी पीड़ा व्यक्त की है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक स्थान पर 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला को उस घर से निकाला गया, जिसमें वह वर्षों से रह रही थी। उन्होंने सरकार से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील की है।

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राजनीतिक पारा चढ़ा

हाईकोर्ट के आदेश के बाद राजनीतिक दलों और जन संगठनों में तीखी बहस छिड़ गई है। वामपंथी नेता इस कार्रवाई को जन विरोधी बता रहे हैं, जबकि सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग कोर्ट के आदेशों का समर्थन कर रहे हैं। सरकार के खिलाफ और पक्ष में मुहिम सी छिड़ गई है।

पुलिस की निगरानी में जारी है कार्रवाई

वन विभाग कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए पुलिस सुरक्षा के बीच सेब के पौधों को हटाने की कार्रवाई कर रहा है। प्रभावित इलाकों में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई हैए लेकिन प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है।

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