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December 5, 2025

सुक्खू सरकार को फिर सुननी पड़ी हाईकोर्ट की फटकार, पंचायती राज परिसीमन संशोधन किया रद्द

हाईकोर्ट ने सरकार और चुनाव आयोग के बीच खींचतान पर जताई नाराजगी

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highcourt cm sukhu

शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बार फिर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पंचायती राज एक्ट में हाल ही में किए गए परिसीमन (Delimitation) से जुड़े संशोधन को पूरी तरह खारिज कर दिया है। जिला परिषद और पंचायत समिति स्तर पर चुनाव क्षेत्रों की नई सीमाएं तय करने संबंधी सरकार के संशोधित प्रावधान को कोर्ट ने मनमाना, अन्यायपूर्ण और संविधान की भावना के विपरीत बताया है।

सरकार–चुनाव आयोग के बीच खींचतान पर कोर्ट की नाराजगी

न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने देवेंद्र सिंह नेगी की याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ कहा कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग के बीच जारी टकराव से पंचायत चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। कोर्ट ने याद दिलाया कि राज्य चुनाव आयोग 17 नवंबर को ही मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का क्लॉज 12(1) लागू कर चुका है, जिसके बाद किसी भी प्रकार की पंचायतों की संरचना, वर्गीकरण या क्षेत्र में बदलाव पर पूरी तरह रोक थी। इसके बावजूद सरकार ने 28 नवंबर को नई अधिसूचना जारी कर पंचायतों में फेरबदल कर दिया, जो नियमों का खुला उल्लंघन है।

 

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चुनाव से पहले परिसीमन में छेड़छाड़ पर कोर्ट सख्त

अदालत ने कहा कि प्रदेश में पंचायत चुनाव की तारीख अभी घोषित नहीं हुई है, और सरकार पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया लगातार जारी रखे हुए है। इससे प्राकृतिक रूप से निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं भी बदल रही हैं, जो परिसीमन की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। कोर्ट ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप बताया।

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कोर्ट ने सरकार को घेरा

हाईकोर्ट ने संशोधित नियम 9(2) को अवैध बताते हुए रद्द किया। इस नियम के अनुसार पंचायत समिति क्षेत्र को जिला परिषद के वार्ड बनाए जाने की इकाई माना गया था।
कोर्ट ने सरकारी अधिसूचनाओं का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि वास्तविकता इसके विपरीत है—

  • रामपुर पंचायत समिति को जिला परिषद शिमला के तीन वार्डों में बांटा गया,
  • छौहारा, ठियोग और चौपाल को तीन-तीन वार्डों में विभाजित किया गया,
  • जबकि रोहड़ू, मशोबरा, टुटू और नारकंडा को दो-दो वार्डों में बांटा गया है।
  • इस प्रकार नियम 9(2) जमीनी वास्तविकताओं से मेल ही नहीं खाता, जिसे कोर्ट ने गंभीर त्रुटि माना।

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अदालत की चेतावनी

हाईकोर्ट ने दो टूक कहा कि सरकार को चुनावी प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप बंद करना होगा और परिसीमन जैसी संवेदनशील प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और संवैधानिक तरीके से करना होगा। इसके साथ ही खंडपीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर विस्तृत जवाब तलब किया है।

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