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April 1, 2025
आज से लागू होगा बजट, 6 बड़े बदलावों के लिए रहें तैयार- जानें किसे फायदा, किसे नुकसान?
नया बजट: जानिए महत्वपूर्ण बदलाव और उनके प्रभाव
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दिल्ली/शिमला। आज से हमारे देश में नया वित्तीय वर्ष शुरू हो रहा है और इसके साथ ही 1 फरवरी को प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट के कई प्रावधान भी प्रभावी हो जाएंगे। हालांकि, सभी योजनाओं और नीतियों के लाभ तत्काल नहीं मिलते। आयकर छूट और सब्सिडी जैसी घोषणाएं वित्तीय वर्ष के पहले दिन से लागू हो जाती हैं, जबकि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और सामाजिक कल्याण योजनाओं के प्रभावी होने में कुछ समय लग सकता है। आइए जानते हैं इस बजट में हुए प्रमुख बदलावों और उनके प्रभाव के बारे में:
क्या बदला है?
- न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की वार्षिक आय पर कोई कर नहीं देना होगा।
- वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 75,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू होगा, जिससे कुल कर-मुक्त आय सीमा 12.75 लाख रुपए हो जाएगी।
- 20 से 24 लाख रुपए की वार्षिक आय वालों के लिए नया 25% कर स्लैब जोड़ा गया है।
- पहले 30% कर दर 15 लाख रुपए से अधिक आय पर लागू होती थी, जो अब 24 लाख रुपए तक बढ़ा दी गई है।
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प्रभाव:
- मध्यम और उच्च-मध्यम वर्ग के करदाताओं को कर में राहत मिलेगी।
- उच्च आय वालों को थोड़ी अतिरिक्त कर देनदारी का सामना करना पड़ सकता है।
क्या बदला है?
- किराए की आय पर TDS की छूट ₹2.4 लाख से बढ़ाकर ₹6 लाख कर दी गई है।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंक FD पर ब्याज आय की TDS छूट ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1 लाख कर दी गई है।
- प्रोफेशनल सेवाओं पर TDS की सीमा ₹30,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दी गई है।
प्रभाव:
- छोटे किरायेदारों और वरिष्ठ नागरिकों को राहत मिलेगी।
- प्रोफेशनल्स की नकदी प्रवाह में सुधार होगा।
क्या बदला है?
- अब विदेश में पढ़ाई के लिए भेजी जाने वाली राशि पर TCS (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) की सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख कर दी गई है।
- यदि यह राशि किसी बैंक से लोन के रूप में ली गई हो, तो TCS नहीं लगेगा।
प्रभाव:
- स्टूडेंट्स और उनके परिवारजनों को आर्थिक राहत मिलेगी।
- अंतरराष्ट्रीय शिक्षा की लागत थोड़ी कम होगी।
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क्या बदला है?
- अब करदाता 24 महीने के बजाय 48 महीने तक अपडेटेड ITR दाखिल कर सकेंगे।
- 24 से 36 महीने के बीच रिटर्न दाखिल करने पर 60% अतिरिक्त कर लगेगा।
- 36 से 48 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 70% अतिरिक्त कर लगेगा।
प्रभाव:
- करदाताओं को अपनी गलतियां सुधारने के लिए अधिक समय मिलेगा।
- स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा।
क्या बदला है?
- यदि ULIP का वार्षिक प्रीमियम ₹2.5 लाख से अधिक है, तो इसे कैपिटल एसेट माना जाएगा।
- 12 महीने से अधिक रखने पर 12.5% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स लागू होगा।
- 12 महीने से कम रखने पर 20% शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स लगेगा।
प्रभाव:
- बड़े प्रीमियम वाले ULIP निवेश पर टैक्स बढ़ेगा।
- सरकार ने इस बदलाव के जरिए हाई-इनकम ग्रुप को टैक्स छूट का अनुचित लाभ उठाने से रोकने का प्रयास किया है।
क्या बदला है?
- कुछ उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई, जबकि कुछ पर बढ़ाई गई है।
- मोबाइल फोन बैटरियों और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) से संबंधित उपकरणों पर कस्टम ड्यूटी हटा दी गई है।
- स्मार्ट मीटर, सौर सेल, PVC फ्लेक्स फिल्म और कुछ अन्य आयातित उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई है।
प्रभाव:
- उच्च मूल्य वाली कारें, कुछ मोटरसाइकिलें और जीवन रक्षक दवाएं सस्ती होंगी।
- कम हो सकते हैं इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम।
- कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान, आयातित जूते और LED टीवी महंगे हो सकते हैं।
- किसानों के लिए नकद सहायता, महिलाओं की स्कीम्स और रोजगार योजनाओं का लाभ जून-जुलाई 2025 तक मिलना शुरू हो सकता है।
- सड़क, रेलवे और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू करने में अधिक समय लग सकता है।
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1. बजट की तैयारी: वित्त मंत्रालय विभिन्न विभागों और विशेषज्ञों से परामर्श लेकर बजट तैयार करता है।
2. बजट का प्रस्तुतीकरण: वित्त मंत्री हर साल 1 फरवरी को लोकसभा में बजट पेश करते हैं।
3. संसदीय चर्चा: संसद के दोनों सदनों में बजट पर बहस होती है।
4. विनियोग विधेयक: सरकार को निधि से धन निकालने की अनुमति देने के लिए इसे पारित किया जाता है।
5. वित्त विधेयक: इसमें कर संबंधी बदलाव शामिल होते हैं और संसद में पारित किया जाता है।
6. राष्ट्रपति की मंजूरी: दोनों विधेयकों को पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी दी जाती है।
7. बजट लागू: राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 1 अप्रैल से वित्तीय वर्ष के लिए बजट लागू होता है।
इस प्रकार, आज 1 अप्रैल 2025 से देश में नए बजट के तहत कई महत्वपूर्ण वित्तीय बदलाव प्रभावी हो गए हैं, जो आम जनता, करदाताओं और उद्योगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करेंगे।