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January 19, 2025
हिमाचल में 8 लाख युवा बेरोजगार, किस जिला में कितने-जानें; सुक्खू सरकार ने भी नहीं निभाया वादा
बेरोजगारी में कौन सा जिला कर रहा टॉप
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारों की तादात बढ़ती जा रही है। सुक्खू सरकार भी बेरोजगारी के इस आंकड़े को कम करने में कामयाब नहीं हो पा रही है। हर साल एक लाख नौकरी का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार दो सालों में मात्र 30 हजार के करीब ही युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवा पाई है। जिससे बेरोजगारों में रोष बढ़ता जा रहा है।
प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों के आंकड़े की बात करें तो यह चौंकाने वाले हैं। हिमाचल के लाहौल स्पीति जिला में सबसे कम बेरोजगार हैं। वहीं कांगड़ा जिला में बेरोजगारों की संख्या सबसे अधिक है। 2024 के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो लाहौल स्पीति जिला में बेरोजगारी की संख्या 4631 है। जबकि उसके बाद नंबर किन्नौर जिला का आता है। यहां पर बेरोजगार युवाओं की संख्या छह हजार से कम है।
वहीं कुल्लू जिला में बेरोजगारों का आंकड़ा 37 हजार के पार पहुंच गया है, वहीं सोलन में यह आंकड़ा 42 हजार के करीब है। बिलासपुर और ऊना जिला में भी बेरोजगारों की संख्या 50 50 हजार के करीब पहुंच चुकी है। इसके बाद अगर सिरमौर, चंबा और हमीरपुर जिला के बेरोजगारों की बात करें तो यहां भी आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यहां 54 हजार से अधिक युवा नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं।
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हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी के मामले में टॉप तीन राज्यों में शिमला मंडी और कांगड़ा जिला का नाम आता है। राजधानी शिमला बेरोजगारों की संख्या 62 हजार से अधिक है। जबकि दूसरे नंबर पर मंडी जिला रहता है। यहां पर बेरोजगारों का आंकड़ा एक एक लाख को पार कर गया है। मंडी जिला में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या एक लाख 41 हजार 82 पहुंच गई है।
वहीं किसी भी पार्टी को हिमाचल की सत्ता सौंपने वाले राज्य कांगड़ा की बात करें तो यहां पर बेरोजगारों की संख्या सबसे अधिक है। प्रदेश को सत्ता सौंपने वाले कांगड़ा राज्य पर सरकारें कम ही मेहरबान होती दिखी हैं, जिसके चलते ही यहां बेरोजगारों का आंकड़ा सबसे अधिक है। कांगड़ा जिला में इस समय बेरोजगारों की संख्या डेढ़ लाख के करीब है।
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बता दें कि हिमाचल की सुक्खू सरकार ने सत्ता में आने से पूर्व बेरोजगारों से वादा किया था कि पांच साल में पांच लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। लेकिन सत्ता संभालने के बाद सुक्खू सरकार भी बेरोजगारों की समस्या को हल नहीं कर पाई और आज भी युवा नौकरी के लिए सड़कों पर भटक रहे हैं।