#धर्म
January 19, 2025
हिमाचल के वो देवता साहिब- जिन्हें कहा जाता है भूतों का थानेदार, चांदी के रथ पर हैं विराजमान
जंगलों के राजा के नाम से हैं विख्यात
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शिमला। हिमाचल प्रदेश एक ऐसी भूमि है जहां चमत्कारों और दिव्य शक्तियों का अनुभव किया जाता है। यहां की वादियों में स्थित मंदिरों और धार्मिक स्थलों से जुड़ी कथाएं आज भी लोगों के दिलों में गूंजती हैं। यह भूमि ना केवल प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध है, बल्कि यहां के लोग भी गहरे आस्था और विश्वास से जुड़े हुए हैं।
हिमाचल के हर कोने में देवी-देवताओं की चमत्कारी शक्तियों का अहसास होता है, जो जीवन के कठिनतम पलों में भक्तों को साहस और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। आज के अपने इस लेख हम आपको देवभूमि हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगे- जिन्हें भूतों का थानेदार कहा जाता है। इन देवता साहिब को खुश करने के लिए उनके भक्त उन्हें पुराना लोहा, त्रिशूल और पुरानी बंदूकें चढ़ाते हैं।
हम बात कर रहे हैं जंगलों के राजा के नाम से विख्यात देवता साहिब वनशीरा की-जो अठारह करडू, ब्रह्मा ऋषि और देवी भगवती की असीम शक्ति के द्योतक हैं।
मानु तो देव ना मानु तो राक्ष - मतलब मानोगे तो देवता हूं ना मानोगे तो राक्षस। ऐसा कहा जाता है देव बनशीरा के बारे में- जो कुल्लू के कनौन गांव में चांदी के सुंदर रथ में विराजमान हैं।
भूत-प्रेत के इलाज और सच-झूठ का न्याय करने वाले इन देवता साहिब के परगने में अगर कोई व्यक्ति बिना वजह से किसी को प्रताड़ित करता है, चोरी-डकैती, जमीन जायदाद के झगड़े, झूठे आरोप लगाता है- तो देवता बनशीरा उसके साथ राक्षस प्रवृत्ति से पेश आते हैं। मगर गुनाह कबूल करने पर माफ भी कर देते हैं।
मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा जी ने देवता बनशीरा को वनों की रक्षा का जिम्मा दिया था। जब देवता धरती पर आए तो पर्वतों और जंगलों में तपस्या करने के लिए अठारह करडू ने देवता बनशीरा से अनुमति ली थी।
माना जाता है कि देव बनशीरा खुद से ही उगने वाले चिमु के विशेष पेड़ पर वास करते हैं। अब वैसे तो सैंज वैली में कनौन की ऊंची चोटी पुखरी नामक स्थान पर देवता का मूल स्थान है।
हिमाचल के कई क्षेत्र ऐसे भी हैं- जहां देवता बनशीरा से काउंटर होना सही नहीं माना जाता और कई जगह उनकी पूजा भी नहीं होती। इन देवता साहिब से जुड़ी एक कहावत जो बहुत मशहूर है कि- न अदालत न वकील अब चलेगी देवता बंशीरा की कील।