#यूटिलिटी
October 3, 2025
हिमाचल में आज पूरा दिन नहीं मिलेगी AMBULANCE सेवा...जानें क्या है कारण
कर्मचारी जिला उपायुक्त कार्यालयों के बाहर करेंगे धरना-प्रदर्शन
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की आम जनता के लिए राहत का बड़ा साधन मानी जाने वाली 108 और 102 एंबुलेंस सेवाएं अब एक बार फिर ठप होने जा रही हैं। कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर सरकार और प्रबंधन के खिलाफ हड़ताल का ऐलान कर दिया है।
यह हड़ताल कल रात 8 बजे से शुरू हुई थीृ-जो कि आज की रात 8 बजे तक चलेगी। यानी आज पूरा दिन प्रदेशभर में एंबुलेंस सेवाएं पूरी तरह बंद रहेंगी, जिससे मरीजों और आम लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
हड़ताल की अवधि के दौरान कर्मचारी जिला उपायुक्त कार्यालयों के बाहर धरना-प्रदर्शन करेंगे। इस आंदोलन का नेतृत्व 108 और 102 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन (सीटू संबंधित) कर रही है। यूनियन ने सरकार और NHM, नेशनल हेल्थ मिशन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
सीटू अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि NHM के अधीन कार्यरत कर्मचारी लगातार शोषण का शिकार हो रहे हैं। हालात यह हैं कि उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा।
कर्मचारियों से 12-12 घंटे की ड्यूटी ली जाती है, लेकिन उसके बावजूद उन्हें ओवरटाइम का भुगतान नहीं मिलता। हाईकोर्ट, लेबर कोर्ट, CGM कोर्ट शिमला और श्रम विभाग तक कई बार आदेश पारित कर चुके हैं, मगर कर्मचारियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
इसके अलावा EPF और ESI (कर्मचारी राज्य बीमा) के क्रियान्वयन में भी गंभीर खामियां बताई गई हैं, जिससे कर्मचारियों का मूल वेतन घट रहा है और श्रम कानूनों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।
यूनियन का आरोप है कि जब भी कर्मचारी या उनके नेता अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाते हैं, तो उन पर मानसिक दबाव डाला जाता है, अनावश्यक तबादले किए जाते हैं और कभी-कभी उन्हें मजबूर होकर नौकरी तक छोड़नी पड़ती है। यह हालात कर्मचारियों के भीतर असुरक्षा की भावना और असंतोष को और बढ़ा रहे हैं।
एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर इस बार भी सरकार और NHM ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे बड़े और उग्र आंदोलन की राह पर जाने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि 108 और 102 एंबुलेंस सेवाएं सीधे जनता की जिंदगी से जुड़ी हैं, ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द संवेदनशील होकर ठोस कदम उठाने होंगे।
चूंकि 108 और 102 एंबुलेंस सेवाएं हिमाचल प्रदेश में आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं, इसलिए हड़ताल का सीधा असर मरीजों, गर्भवती महिलाओं और सड़क हादसों के शिकार लोगों पर पड़ने वाला है। 24 घंटे तक सेवाओं का ठप रहना आम जनता की परेशानी को बढ़ा सकता है।