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November 3, 2025

देवी हाटेश्वरी और कुल देवता से मां ने मांगी थी मन्नत : आशीर्वाद से वर्ल्ड कप तक पहुंची रेणुका

रेणुका को एक करोड़ देगी सुक्खू सरकार

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Women World Cup Renuka Singh Thakur

शिमला। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार विमेंस वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम कर इतिहास रच दिया। इस ऐतिहासिक जीत के बाद शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल की बेटी रेणुका सिंह ठाकुर के हर तरफ खूब सराहना हो रही है।

रेणुका की मां ने मांगी थी मन्नत

बताया जा रहा है कि गेंदबाज रेणुका सिंह की मां सुनीता ठाकुर ने मैच से पहले इस ऐताहासिक जीत के लिए मंदिरों में मन्नतें मांगी थी- जो कि पूरी भी हो गई। सुनीता ठाकुर में सबसे पहले महासू देवता के मंदिर में माथा टेका और फिर जागा माता, नरसिंह देवता और दुर्गा माता के मंदिर में जीत के लिए प्रार्थना की।

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गेंदबाज रेणुका ने किया कमाल

कल देर रात तक चले मैच की ऐतिहासिक जीत की गूंज पूरे देश में सुनाई दी, लेकिन सबसे ज्यादा खुशी झूम उठी हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के छोटे से गांव पारसा में- जहां भारत की तेज गेंदबाज रेणुका सिंह ठाकुर का घर है।

पूरे इलाके में खुशी का माहौल

वहीं, वर्ल्ड कप फाइनल जीतते ही रेणुका के घर और गांव में जैसे दीपावली का माहौल बन गया। ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर पारंपरिक नाटी नृत्य किया, पटाखे फोड़े और “भारत माता की जय” के नारे लगाए। गांव के लोग बड़े पर्दे पर मैच देख रहे थे, और जैसे ही भारत ने जीत हासिल की- पूरा गांव झूम उठा।

 

रेणुका ठाकुर के घर पर डांस करते हुए रिश्तेदार।

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एक करोड़ देगी सुक्खू सरकार

रेणुका की इस ऐताहासिक जीत को लेकर सुक्खू सरकार ने पुरस्कार के तौर पर एक करोड़ देने का ऐलान किया है। CM सुक्खू नेउन्होंने लिखा कि रोहड़ू की बेटी रेणुका ठाकुर ने वो सपना पूरा कर दिखाया, जो हर पहाड़ की बेटी देखती है। संघर्षों से जीतकर वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा बनना- ये देश और हिमाचल का गौरव है। रेणुका ने दिखाया कि जुनून और विश्वास से हर मक़ाम हासिल किया जा सकता है। हार्दिक बधाई रेणुका जी, उनकी माँ और उनके परिवार को। स्वर्गीय पिता जी को नमन- जिनकी प्रेरणा आज पूरे हिमाचल का अभिमान बनी है।

 

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वर्ल्ड चैंपियन बनने पर मां भावुक

रेणुका की मां इस खुशी के पल में भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने वह सपना पूरा किया, जो कभी उसके पिता देखा करते थे। रेणुका के पिता क्रिकेट के बड़े प्रशंसक थे, लेकिन जब रेणुका महज तीन साल की थी, तब उनका निधन हो गया था।

पूरा किया पिता का सपना

पिता की चाहत थी कि उनके बच्चे क्रिकेट में नाम कमाएं आज रेणुका ने वह सपना साकार कर दिखाया। रेणुका ठाकुर का क्रिकेट सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।

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लड़कों के साथ खेलकर सीखा क्रिकेट

पारसा गांव की गलियों में रेणुका अक्सर अपने भाई और गांव के लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थीं। खेल के प्रति लगन और स्वाभाविक गेंदबाजी ने उन्हें कम उम्र में ही अलग पहचान दिला दी।

 

उनके चाचा भूपेंद्र सिंह, जो पेशे से शारीरिक शिक्षा शिक्षक हैं, ने रेणुका की प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (HPCA) अकादमी, धर्मशाला में दाखिला लेने का सुझाव दिया। साल 2009 में रेणुका ने HPCA में दाखिला लिया, और यहीं से उनके क्रिकेट करियर की असली शुरुआत हुई।

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आसाान नहीं था सफर

रेणुका ने HPCA से जुड़ने के बाद अंडर-16 और अंडर-19 टीमों के लिए शानदार प्रदर्शन किया। साल 2019-20 की सीनियर महिला वनडे ट्रॉफी में उन्होंने 23 विकेट लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम दर्ज करवाया। इसके बाद उनका सिलेक्शन भारतीय टीम के लिए हुआ।

 

 

अक्टूबर 2021 में रेणुका ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ T-20 इंटरनेशनल और फरवरी 2022 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे डेब्यू किया। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में वह सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज रहीं, जिसने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

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10 नंबर की जर्सी पहनती हैं रेणुका

साल 2022 में रेणुका को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की ओर से ‘इमर्जिंग वुमन क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ का सम्मान मिला। यह उपलब्धि हिमाचल जैसे छोटे राज्य के लिए गर्व का क्षण थी। आपको बता दें कि रेणुका दस नंबर की जर्सी पहनती हैं। सचिन तेंदुलकर के सम्मान में भारत ने ये नंबर रिटायर कर दिया।

वर्ल्ड कप में रेणुका का प्रदर्शन

हाल ही में समाप्त हुए वर्ल्ड कप में रेणुका सिंह ठाकुर ने 7 में से 5 मैचों में हिस्सा लिया और 3 विकेट अपने नाम किए। भले ही विकेटों की संख्या सीमित रही, लेकिन उनकी किफायती गेंदबाजी ने टीम को मजबूती दी। फाइनल मुकाबले में रेणुका की गेंद पर दो कैच ड्रॉप हुए, नहीं तो आंकड़े और बेहतर हो सकते थे।

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गांव की बेटियों के लिए बनी प्रेरणा

आज रेणुका न केवल भारतीय क्रिकेट टीम की अभिन्न हिस्सा हैं, बल्कि हिमाचल की पहाड़ियों में पल रही अनगिनत बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। पारसा गांव के बच्चे अब उनके नाम पर अपने क्रिकेट क्लब का गठन करने की बात कर रहे हैं।

 

भारत की यह ऐतिहासिक जीत जहां पूरे देश के लिए गौरव का क्षण है, वहीं पारसा गांव के लिए यह सपने के सच होने जैसा पल है- जब हिमाचल की बेटी ने देश को विश्वविजेता बनाया और अपने पिता की अधूरी ख्वाहिश को अमर कर दिया।

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