#खेल
July 13, 2025
हिमाचल की बेटी थाईलैंड में दिखाएगी अपने मुक्के की ताकत, एशियाई चैंपियनशिप में हुआ चयन
एशियाई मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में चलेगा श्रुति का पंच
शेयर करें:
किन्नौर। किसी ने क्या खूब लिखा है कि, जब हौसला बुलंद, लक्ष्य सामने और उसे पूरा करने का प्रण कर लिया जाए तो पहाड़ भी झुकाए जा सकते हैं। ठीक इसी तरह अपने बुलंद हौसले से इन्हीं शब्दों को साबित कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर की एक बेटी ने, जिसने एशियाई मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप के लिए भारत की ओर से अपनी जगह बनाने में सफलता हासिल की है।
मिली जानकारी के अनुसार, किन्नौर जिले की होनहार बेटी श्रुति नेगी ने खेल जगत में एक बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है। श्रुति का चयन थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित होने जा रही अंडर-22 महिला एशियाई मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप के लिए हुआ है।
यह भी पढ़ें : भूस्खलन से पूरे गांव पर मंडराया खतरा, खेतों-घरों में आई दरारें; दहशत में 14 परिवार
श्रुति इन दिनों हरियाणा के रोहतक स्थित नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में प्रशिक्षण ले रही हैं, जहां वह अपने खेल को लगातार निखार रही हैं। उनके प्रशिक्षण और मेहनत का ही परिणाम है कि उन्हें अब एशियाई स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है।
श्रुति किन्नौर जिले के चांसु गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता संजय कुमार और मां सीता देवी इस उपलब्धि से बेहद गौरवान्वित हैं। परिवार का कहना है कि श्रुति ने बचपन से ही खेलों में रुचि दिखाई और कभी हार नहीं मानी।
यह भी पढ़ें : हिमाचल आपदा- 13 दिन बाद भी नहीं मिल पाए अपने, परिजनों ने सिसकियों के साथ किया क्रियाकर्म
श्रुति के प्रारंभिक प्रशिक्षण में उनके शारीरिक शिक्षा शिक्षक कर्म चंद नेगी की भूमिका को भी अहम माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि श्रुति में बचपन से ही खास प्रतिभा थी और उन्होंने हमेशा उसे प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि यह सफलता सिर्फ श्रुति की नहीं, बल्कि पूरे किन्नौर की है, और यह उपलब्धि आने वाली युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी।
प्रदेश के खेल प्रेमियों और अधिकारियों ने भी श्रुति को बधाई दी है और उम्मीद जताई है कि वह बैंकॉक में आयोजित होने वाली चैंपियनशिप में भी शानदार प्रदर्शन करेंगी और देश तथा प्रदेश का नाम रोशन करेंगी।
यह भी पढ़ें : हिमाचल: सेब से लदे सैंकड़ों पेड़ों पर चली आरी, लोगों में आक्रोश; बोले- 10 दिन में होना था तुड़ान
बहरहाल, श्रुति की यह उपलब्धि उन युवाओं के लिए भी संदेश है, जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखते हैं। किन्नौर की इस बेटी ने यह साबित कर दिया है कि समर्पण, मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी मंज़िल दूर नहीं।