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March 23, 2025

इन राशियों के जीवन में आएगा भूंचाल, रातों-रात बदल जाएगा सबकुछ- साढ़ेसाती होगी शुरू

शनि देव कुंभ से मीन राशि में गोचर करेंगे

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Shanishari Amavasya

शिमला। हिंदू धर्म में राशिफल और ज्योतिष विद्या को काफी महत्व दिया गया है। हिंदू धर्म में शनिवार और अमावस्या दोनों का विशेष महत्व होता है, और जब ये दोनों संयोग बनाते हैं, तो इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। यह दिन शनि देव की कृपा प्राप्त करने और उनके प्रकोप को शांत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आज के अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ये शनिश्चरी अमावस्या का किन राशियों पर नाकारत्मक प्रभाव पड़ेगा और किन राशियों को शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलेगी।

कब है शनिश्चरी अमावस्या?

शनिश्चरी अमावस्या 29 मार्च को है। इस दिन शनि देव कुंभ से मीन राशि में गोचर करेंगे। इस दिन शनि देव की पूजा और उपाय करने से नकारात्मक प्रभाव कम हो सकते हैं और जीवन में शुभता आ सकती है।

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शनि गोचर का समय और विशेष संयोग

शनि कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में 29 मार्च सुबह 11 बजे प्रवेश करेगा। इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लगेगा, हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा। इस गोचर के साथ कुछ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव शुरू होगा, जबकि कुछ को इससे राहत मिलेगी।

किन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव?

  • मेष राशि- शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा। मानसिक तनाव, निर्णय लेने में कठिनाई और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं। आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतें, बड़े निवेश से बचें।
  • सिंह राशि- शनि की ढैय्या शुरू होगी, जिससे करियर में रुकावटें आ सकती हैं। मेहनत के बावजूद अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाएगी। स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहें, हड्डियों और जोड़ों की समस्याएं हो सकती हैं।
  • धनु राशि- शनि की ढैय्या शुरू होगी, जिससे मानसिक तनाव और वित्तीय दिक्कतें बढ़ सकती हैं। कार्यक्षेत्र में संघर्ष और पारिवारिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यात्रा के दौरान सावधानी बरतें।
  • कुंभ राशि- साढ़ेसाती का अंतिम चरण चलेगा, जिससे मानसिक अशांति और आर्थिक अनिश्चितता बनी रह सकती है। इस दौरान धैर्य और संयम बनाए रखना आवश्यक होगा।
  • मीन राशि- साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू होगा। अचानक खर्च बढ़ सकते हैं, कर्ज लेने से बचें। रिश्तों में तनाव संभव है, सोच-समझकर कोई बड़ा निर्णय लें।

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किन राशियों को मिलेगी राहत?

  • मकर राशि- शनि की साढ़ेसाती समाप्त होगी, जिससे जातकों को राहत मिलेगी। करियर और व्यापार में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।
  • कर्क राश- शनि की ढैय्या समाप्त होगी, जिससे मानसिक शांति और आर्थिक स्थिरता आएगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा और रुके हुए काम पूरे होंगे।
  • वृश्चिक राशि- शनि की ढैय्या खत्म होगी, जिससे कार्यक्षेत्र में नई संभावनाएं मिलेंगी। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • वृषभ राशि- यह गोचर शुभ रहेगा, जिससे आर्थिक वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र में प्रमोशन और सफलता मिलने की संभावना है।
  • मिथुन राशि- शनि का गोचर लाभकारी सिद्ध होगा, जिससे करियर में उन्नति और धन लाभ होगा। नई नौकरी या व्यवसाय में सफलता मिलने की प्रबल संभावना रहेगी।
  • तुला राशि- शनि का गोचर शुभ रहेगा, जिससे पारिवारिक और दांपत्य जीवन में खुशहाली आएगी। व्यापार और निवेश में लाभ होगा।

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शनिश्चरी अमावस्या का महत्व

शनिश्चरी अमावस्या शनि देव की कृपा प्राप्त करने और कर्मों के फल सुधारने का उत्तम दिन होता है। इस दिन दान-पुण्य, पूजा-पाठ और सेवा कार्य करने से जीवन की कठिनाइयां कम हो सकती हैं और शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

धार्मिक महत्व

शनिश्चरी अमावस्या का धार्मिक महत्व-

  • शनि देव को प्रसन्न करने और उनके अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए उत्तम माना जाता है।
  • शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा से प्रभावित जातकों को शनि देव की पूजा और उपाय करने चाहिए।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी श्राद्ध, तर्पण और दान करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
  • नकारात्मक ऊर्जाओं से बचने और जीवन में शुभता लाने के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

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शनिश्चरी अमावस्या के ज्योतिषीय प्रभाव

शनि देव न्याय, कर्म और अनुशासन के देवता माने जाते हैं। वे कर्मों का फल देते हैं, इसलिए इस दिन सद्कर्म और सेवा कार्य करने से शुभ फल मिलते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, तो इस दिन पूजा-पाठ और दान करने से कष्टों में कमी आती है। इस दिन शनिवार व्रत करने और शनि मंत्रों का जाप करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।

शनिश्चरी अमावस्या पर क्या करें?

  • शनि देव की पूजा और व्रत करें- शनि देव के मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। काले तिल, काली उड़द, सरसों का तेल और लोहे से बनी वस्तुएं दान करें। शनि चालीसा और हनुमान चालीसा का पाठ करें। शनिदेव का बीज मंत्र "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" का जाप करें।
  • पितरों का तर्पण करें- अमावस्या तिथि का संबंध पितरों से होता है, इसलिए इस दिन गया, प्रयाग या पवित्र नदी में तर्पण करना शुभ माना जाता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना अत्यंत पुण्यदायी होता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए उपाय करें- शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। गाय, कुत्ते, कौवे और भैंस को भोजन कराएं।

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