#धर्म

March 4, 2025

हिमाचल के वो देवता साहिब- जिनके एक हथोड़े से निकली थीं नमक की खदानें

सीधा बैकुंठ से हिमाचल आए थे देवता साहिब

शेयर करें:

Devta Sahib Vishnu Matloda

शिमला। हिमाचल प्रदेश, जिसे "देवभूमि" कहा जाता है न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की धार्मिक आस्था भी इसे विशेष बनाती है। हिमालय की इन पवित्र वादियों में ऐसा विश्वास है कि यहां का हर कण देवी-देवताओं की उपस्थिति से पवित्र है। ये देवता न केवल मंदिरों और पूजास्थलों में पूजे जाते हैं, बल्कि हर पर्वत, झरने और जंगल को उनका निवास स्थान माना जाता है।

हर गांव का अपना एक देवता

यहां के लोग देवी-देवताओं को अपनी संस्कृति और परंपराओं का आधार मानते हैं। हर गांव का अपना एक देवता होता है, जिसे "ग्राम देवता" कहा जाता है। इन देवताओं की प्रतिष्ठा इतनी गहरी है कि उनके सम्मान में विशेष समारोह और मेले आयोजित किए जाते हैं। लोग अपनी समस्याओं के समाधान और जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में देवताओं का मार्गदर्शन लेते हैं।

यह भी पढ़ें : हिमाचल के वो देवता साहब- जो सिर्फ एक रुपए और पत्थर से करते हैं बीमारियों का इलाज

हथोड़े से निकली नमक की खदानें

आज के अपने इस लेख में हम आपको हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगे- जिनके एक हथोड़े से नमक की खदानें निकली थीं। ये देवता साहिब सीधा बैकुंठ से हिमाचल आए थे।

 

बड़े देवा री बड़ी गला

ये देवता साहिब 18 गढ़ सराज, 9 गढ़ नाचन, 14 हार और 2 दर्जन से अधिक पंचायतों के राजा हैं। बड़े देवा री बड़ी गला, जेठा देयो सयानी कला। हम बात कर रहे हैं दाता सर्वेश्वर देव श्री विष्णु मतलोड़ा जी की। जिनके हार की सीमा में सराज का लगभग 45-50% का इलाका आता है- इसलिए इन्हें बड़ा देव सराज भी कहते हैं।

यह भी पढ़ें : हिमाचल के वो देवता साहिब- जिनकी भक्तों के भोजन ग्रहण करने के बाद होती है पूजा

नंगे पैर स्वागत करने आता था राजा

जनश्रुतियों के अनुसार, जब काशी से आए बड़े-बड़े ब्राह्मण भी मंडी राजमहल की आधारशिला नहीं रख पा रहे थे- तो देवता साहब के शगलोट पुजारी ने पलभर में यह कम पूरा कर दिया था। वहीं, रियासत काल में राजा विजय सेन नंगे पैर शोलीखड्ड प्रभु के स्वागत के लिए आते थे और जब भी बड़ा देव महल पहुंचते थे तो वे उन्हें धुर मैं बैठा के खुद पीछे बैठा करते थे।

ब्रह्मा जी से मिला वरदान

देवता जी के प्रति मंडी राजा की आस्था इतनी अधिक प्रगाढ़ थी कि उन्होंने देव श्री विष्णु मतलोड़ा से उन्हीं के राज महल में रह जाने का आग्रह भी किया था, लेकिन प्रभु नहीं माने। वहीं, जब एक बार देव विष्णु मतलोड़ा बालक रूप में मंडी भाटकीधार पहुंचे, तो वहां उनका सामना दैत्य मडभखन देवी से हो गया- जिन्हें ब्रह्मा जी से वरदान मिला था।

यह भी पढ़ें : हिमाचल का वो मंदिर- जहां स्थापित माता की मूर्ति का पाताल में है एक पैर

भली-भांती परिचित थे देवता

देवता जी इस वरदान से भली-भांती परिचित थे। ऐसे में जब मडभखन देवी ने उनपर आक्रमण किया, तो वे बाल्य रूप में एक देव महिला के आंचल से लिपट गए और फिर उन्हीं की सहायता से दैत्य का संहार किया। तब से ही देव श्री विष्णु मतलोड़ा जी पूजा के दौरान महिलाओं का होना शुभ माना जाता है।

पेज पर वापस जाने के लिए यहां क्लिक करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख