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February 23, 2025

हिमाचल के वो देवता साहब- जो सिर्फ एक रुपए और पत्थर से करते हैं बीमारियों का इलाज

इन देवता साहिब के साथ चलती हैं कालियां, जोगनियां, मसान और अर्ध मसान

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Devta Sahib Mahunag Mauvi Seri

शिमला। देवभूमि हिमाचल के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। लोगों की देवी-देवताओं से अनोखी आस्था जुड़ी हुई है। हिमाचल के लोग देवी-देवताओं को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं। देवी-देवताओं के प्रति लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि वे अपने दैनिक जीवन के हर छोटे-बड़े निर्णय में उन्हें शामिल करते हैं।

हर गांव का है अपना देवता

यहां हर गांव का अपना देवता है- जिन्हें विशेष पूजा-अर्चना के माध्यम से सम्मानित किया जाता है। लोगों के लिए देवी-देवता उनके जीवन की शक्ति और मार्गदर्शक हैं- जो उन्हें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

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एक रुपए और पत्थर की मन्नत

आज हम आपको हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगे- जिनके साथ कालियां, जोगनियां, मसान और अर्ध मसान चलती हैं। ये देवता साहिब सिर्फ एक रुपए और पत्थर की मन्नत से कई बीमारियों का इलाज करते हैं।

भूत-प्रेत बाधा से मिलता है छुटकारा

मंडी के साथ-साथ कुल्लू में भी इन देवता साहिब के भक्तों की आस्था फैली हुई है। विष के भंडारी कहे जाने वाले ये देवता पूरे 70 साल बाद मंडी शिवरात्री में शामिल होंगे। हम बात कर रहे हैं मंडी जिला के नाचन में विराजित कर्णवतार देवता साहब श्री माहूंनाग मौवी सेरी ढनुखरी जी की- जो अपने गण यानी - मसान या अर्ध मसान के साथ दिलाते हैं भूत-प्रेत बाधा से छुटकारा।

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पक्का इलाज है संभव

देवता साहब महुंनाग जी का मूल मंदिर ढनुखरी में है और इनका मूल भंडार मौवी सेरी में है। इन देवता साहिब के बारे में ये बात विख्यात है कि सांप और कुत्ते द्वारा काटा गया व्यक्ति इनके दरबार में बिना किसी दवाई के ठीक हो जाता है। इतना ही नहीं इन देवता साहिब के दरबार में काला पीलिया और पीलिया का भी पक्का इलाज संभव है।

 

टका पाथरू की मन्नत

बता दें कि महुंनाग जी देवता साहब जब भी इन व्याधियों के इलाज के लिए हामी भरते हैं तो- सबसे पहले उन्हें एक खास तरह का बांधा यानि मन्नत रखी जाती है- जिसे एक रुपए टका पाथरू कहते हैं।

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हफ्ते में हो जाता है ठीक

एक रुपए और टका पत्थर की मान्यता पर बीमार व्यक्ति को तीन, पांच या सात दिन तक देवता साहब महुंनाग के मूल मुख का चरणामृत पिलाया जाता है और वो बिलकुल ठीक हो जाता है। लोग मंडी, कुल्लू, सराज से देवता साहब महुंनाग जी के पास इलाज के लिए उनके दरबार में पहुंचते हैं- जहां हर वर्ष ऋषि पंचमी के दिन देवता साहब के हारू उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।

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