#धर्म
March 7, 2025
हिमाचल के वो देवता साहिब- जिनकी लाल जटाओं में वास करती हैं एक लाख कालियां
सबसे लाडले और सबसे नटखट देवता साहिब हैं लाल जटाधारी
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शिमला। देवभूमि हिमाचल के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। यहां के लोगों देवी-देवताओं में बहुत आस्था रखते हैं। हिमाचल के लोग अपने देवी-देवताओं को परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं। यहां के पारंपरिक त्योहारों और मेलों में देवताओं का विशेष स्थान होता है।
यहां के लोग देवी-देवताओं को केवल पूजनीय नहीं, बल्कि अपना संरक्षक मानते हैं। प्रत्येक गांव और कस्बे में एक स्थानीय देवता होता है, जिन्हें लोग अपने परिवार के सदस्य की तरह मान-सम्मान देते हैं। ये देवता न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का भी अभिन्न हिस्सा हैं।
आज के अपने इस लेख में हम आपको हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगे- जो कहे जाते हैं लाल जटाधारी। यह देवता साहिब 4 महासुओं में सबसे लाडले और सबसे नटखट देवता साहिब हैं।
इन देवता साहिब ने खुद से ही अपना स्थान भी चुना और अपना गांव भी बसाया। हम बात कर रहे हैं शिमला-रोहडू की छुहारा वैली में अपना आधिपत्य स्थापित कर चुके देवता रघुनाथ पवासी जी महाराज रोहल की।
देवता साहिब रघुनाथ पवासी जी महाराज रोहल की उत्पत्ति से जुड़ी कथा बताती है कि देवता पवासी जी महाराज पोखरी नामक स्थान पर पानी में से उत्पन्न हुए थे- जिसे हम आज देववन कहते हैं।
मान्यता अनुसार, पवासी महाराज रोहल जी बेहद ही नटखट स्वभाव के थे- जिनका रथ अकसर 1 लाख कालियों के साथ काड़ें में खेलने चला जाया करता था। ऐसे में जब उनके भक्तों को देवता जी का रथ गायब मिलता, तो वो उनकी तालाश में जुट जाते और इस खोजबीन के दौरान उन्हें देवता जी कभी फूल में मिलते तो कभी तालाब में।
जब बार-बार ऐसा होने लगा तो गांव के लोगों ने देवता जी से ही इसका उपाय पूछा, जिसके बाद उनका रथ लाल झांगरू रूप में बनाया गया और देवता जी की लाल जटाओं में 1 लाख कालियों का वास करवाया गया और तब से ही उन्हें लाल जटाधारी का नाम मिला।
बता दें कि देवता साहिब पवासी जी महाराज के द्वारा बसाया गया रोहल एक ऐसा स्थान है- जहां से फारूश के रूप में 13 शक्तियां या देवरथ बाहर गए हैं। कहते हैं कि रोहल से बाहर विहाई बेटियों ने जब भी पवासी महाराज रोहल को दुख में पुकारा है तो उन्होंने साक्षात दर्शन देकर अपनी जाइयों का दुख हरा है और उन्हीं बेटियों के गांव में रथ रूप में विराजित भी हुए हैं।