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March 21, 2025

हिमाचल के वो देवता साहिब- जिनके रथ में विराजित है पूरा शिव परिवार और सूर्यदेव

देवता जी की खूबसूरत जटाओं में चंद्रमा भी हैं सुशोभित

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Devta Sahib Nareshar Ji Maharaj

शिमला। देवभूमि हिमाचल के लोग देवी-देवताओं के प्रति गहरी आस्था रखते हैं। यह आस्था केवल धार्मिक विश्वास तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके संपूर्ण जीवन और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिमाचल के लोगों के लिए देवी-देवता केवल आराध्य नहीं, बल्कि जीवन की शक्ति और मार्गदर्शक हैं, जो उन्हें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

देवी-देवता से जुड़ी गहरी आस्था

प्रदेश के हर गांव और क्षेत्र का अपना एक प्रमुख इष्ट देवता या देवी होती है, जिनकी नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। कई स्थानों पर देवता की पालकी को उठाकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। हिमाचल की धार्मिक आस्था विभिन्न उत्सवों, लोक नृत्यों और परंपराओं में भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। लोग अपने इष्ट देवता को परिवार का अभिन्न अंग मानते हैं और किसी भी शुभ कार्य, संकट या निर्णय के समय उनकी सलाह लेना आवश्यक समझते हैं।

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रथ में विराजित है पूरा शिव परिवार

आज के अपने इस लेख में हम हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगे- जिनके रथ में पूरा शिव परिवार विराजित है। देवता जी के इस दिव्य रथ में भगवान शंकर जी और भगवान श्री गणेश जी भी मौजूद हैं।

जटाओं में सुशोभित हैं चंद्रमा

वहीं, इन देवता जी की खूबसूरत जटाओं में चंद्रमा भी सुशोभित हैं- जो इन्हें सबसे अलग और खास बनाते हैं और स्वयं सूर्यदेव भी इनके सबसे ऊपरी मोहरे में विराजते हैं।

 

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रथ में लगा है दुर्गा का मोहरा

हम बात कर रहे सोने की बावड़ी से उत्पन्न हुए- सुखी धारो रा झांगरू देवता साहिब नरेशर जी महाराज की- जो अपने भक्तों को साधु रूप में दर्शन देते हैं। इन देवता साहिब के रथ में मां दुर्गा का भी एक मोहरा लगा हुआ है।

कोठी में गुप्त रहती है माता

मान्यता अनुसार, देवता साहिब नरेशर जी महाराज के पास सदैव ही असंख्य शक्तियां का वास होता है- इनकी कोठी में स्वयं भगवान लक्ष्मीनारायण जी यानी बड़ा देऊ भी विराजते हैं। शिमला-रामपुर के कुमसू में बनी इन देवता जी की कोठी में गुप्त माता शीतला भी रहती हैं- जिन्हें कोई भी नहीं देख सकता है।

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माता को आया गुस्सा

बताते हैं कि एक बार देवता जी के पुजारी परिवार में पातक और शोक चल रहा था- ऐसे में देव पूजा का जिम्मा देवता साहिब के पुरोहित को सौंपा गया। जिसने गलती से शीतला माता का द्वार खोल दिया- बताते हैं कि द्वार खुलने से क्रोधित हुई शीतला माता ने पंखों वाले बाघ को उनके पीछे छोड़ दिया फिर बहुत क्षमा याचना करने के बाद मां का गुस्सा शांत हुआ।

चांदी की मूर्ति हुई चोरी

इसी तरह जब एक बार देवता जी के मंदिर से चांदी की मूर्ती चोरी हुई- तो चोरों ने मूर्ति को जम्मू कश्मीर में ले जाकर चांदी को पिघला दिया मगर फिर देवता जी के शक्तियों से चांदी की मूर्ति का लाक वापस रामपुर आ गया- जिससे मूर्ती को दोबारा गढ़ा गया।

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