#धर्म
February 19, 2025
हिमाचल के वो देवता साहिब- जो भूत-प्रेत और जादू टोने से दिलवाते हैं छुटकारा
अपने भक्तों को सिहं रूप में दर्शन देते हैं देवता साहिब
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शिमला। देवभूमि हिमाचल के लोग देवी-देवताओं को अपने जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं। यहां हर गांव का अपना स्थानीय देवता या देवी होती है। इन देवताओं की अपनी मान्यताएं और परंपराएं होती हैं, जिन्हें पीढ़ियों से निभाया जाता रहा है। लोग अपने देवताओं को परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं और उनके आदेशों का पालन करते हैं।
देवता केवल पूजा तक सीमित नहीं रहते, बल्कि गांव की हर सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधि में उनकी उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है। किसी भी शुभ कार्य, त्योहार या महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले देवी-देवताओं की राय ली जाती है।
हिमाचल में देव परंपरा की एक विशेषता यहां की देव पालकी यात्रा है। यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसमें गांव के देवता की पालकी भक्तों द्वारा कंधे पर उठाकर यात्रा करवाई जाती है। पालकी यात्रा के दौरान भक्त नाचते-गाते हैं और भक्ति में लीन हो जाते हैं। इस दौरान देवता अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और भविष्य से जुड़े संकेत भी प्रदान करते हैं। लोग अपने देवताओं को केवल पूजनीय नहीं, बल्कि संरक्षक भी मानते हैं।
आज के अपने इस लेख में हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगे- जो कि सोने की बावड़ी से उत्पन्न थे। यह देवता साहिब अपने भक्तों को सिंह रूप में दर्शन देते हैं।
यह देवता साहिब भूत-प्रेत और जादू टोने से भी छुटकारा दिलवाते हैं। जल्द ही इनके दरबार में भूंडा महाउत्सव का आयोजन होगा। हम बात कर रहे हैं देव बृहस्पति के अवतार देवता साहिब दोगणु महाराज की- जो सम्पूर्ण शिलादेश के पंच लंबरदारी क्षेत्रों के राजा माने जाते हैं।
भगवान परशुराम द्वारा प्रतिष्ठित चार प्रमुख ठरियों में से तीसरी ठहरी- ल्यापुरी में विराजने वाले इन देवता साहिब की उत्पत्ति सप्त सुवर्णी यानी सोने की बावड़ी से हुई थी। जिसे मायावी कहते हैं और आज तक कोई भी शख्स उस बावड़ी तक नहीं पहुंच पाया है।
जन श्रुतियों के अनुसार, रामपुर के देवीधार गांव में रहने वाले एक व्यक्ति को बुशहर रियासत के राजा ने काला पानी की सजा सुनाकर, सात दृढ़ द्वारों के पीछे कारावास में डाल दिया गया था। ऐसे में जेल में बंद हुए व्यक्ति ने देवता साहिब से करुण याचना करते हुए संकल्प लिया कि अगर वो सकुशल अपने घर लौट गया, तो वो अपनी पूरी जमीन देवता साहिब के नाम कर देगा।
कथा बताती है कि भक्त की याचना सुनने के बाद देवता साहिब दोगणु जी महाराज ने अपनी शक्तियों से उन सात द्वारों को खोल दिया और जेल से आजाद होने के बाद उस आदमी ने अपनी सारी जमीन को देवता साहिब के नाम कर दिया। तब पहली बार देवता साहिब के सम्मान में बिरशी मेले का आयोजन किया गया। वहीं, अब शीघ्र ही लालसा गांव में देवता साहिब दोगणु महाराज का भव्य भुण्डा महोत्सव होगा- जिसका पूरा प्लान इस साल के अंत तक तैयार हो जाएगा।