#धर्म
January 17, 2025
हिमाचल के वो देवता साहिब- जिनकी पवित्र झील में भरा है अरबों का खजाना
देवता की रक्षा स्वयं करते हैं नाग देवता
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शिमला। देवभूमि कहलाए जाने वाले हिमाचल के कण-कण में दिव्यता और आस्था का वास है। हिमालय की सुरम्य वादियों में बसे इस प्रदेश का हर गांव, हर पर्वत और हर नदी किसी ना किसी देवी-देवता से जुड़ी पौराणिक कथाओं और मान्यताओं से ओतप्रोत है। यहां के लोग अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को देवी-देवताओं के साथ जोड़कर देखते हैं।
हिमाचल के प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल इस बात के साक्षी हैं कि यह भूमि कितनी पवित्र और आध्यात्मिक है। यहां पर लोकदेवताओं की पूजा भी बड़े धूमधाम से होती है- जो कि देवी-देवताओं के प्रति यहां के लोगों की गहरी आस्था को दर्शाते हैं।
आज के अपने इस लेख में हम बात करेंगे हिमाचल के ऐसे देवता साहिब कि जिनकी पवित्र झील में अरबों का खजाना भरा है। जिसकी रक्षा स्वयं नाग देवता करते हैं। चोर इस पवित्र झील को लूटने की कई बार कोशिश कर चुके हैं, लेकिन ऐसा करने पर किसी को मौत मिली तो कोई अंधा हो गया।
हम बात कर रहे हैं महाभारत के रत्नयक्ष बड़ा देव कमरूनाग जी की। इन देवता साहिब को कोई बर्बरीक की संज्ञा देता है तो कोई खाटू श्याम की। बड़ा देव कमरूनाग को बारिश का देवता भी कहा जाता है और वे पलक झपकते ही बारिश करवा देते हैं।
कथा बताती है कि बर्बरीक यानी देव कमरूनाग ने अपनी मां को वादा किया था कि वो महाभारत के युद्ध में हारने वाले पक्ष की तरफ से ही लड़ेंगे। मगर तभी श्री कृष्ण ने देव कमरूनाग से उनका सिर मांग लिया। इसपर देव कमरूनाग ने इच्छा जताई कि वो महाभारत का युद्ध देखना चाहते हैं।
ऐसे में उनके कटे सिर को एक पहाड़ पर बांध दिया गया, जहां से वो महाभारत का युद्ध देख सकें।फिर जब पांडव देव कमरूनाग से मिलने आए तो देव कमरूनाग ने कहा कि प्यास लगी है। तब भीम ने धरती पर वार किया और अपनी हथेली से पानी की झील प्रकट की।
लोग बताते हैं कि इस झील में पांडवों का खजाना भी भरा है। आज भी मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु सोने, चांदी के जेवर और सिक्के झील में चढाते हैं। झील की इस पूरी संपत्ति की रक्षा स्वयं नाग देवता करते हैं। जिला मंडी से करीब 51 किमी दूर करसोग घाटी के चच्योट में बड़ा देव कमरूनाग का मंदिर आज भी मौजूद है- जहां देवता पत्थर रूप में विराजमान हैं।