#धर्म
December 14, 2025
हिमाचल पहुंचे देव चालदा महासू : लाखों भक्तों ने किया स्वागत, पैर धरने तक की नहीं थी जगह
चारों तरफ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज, भक्तिमय हुआ माहौल
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सिरमौर। उत्तराखंड से शुरू हुई छत्रधारी चालदा महासू महाराज की ऐतिहासिक पैदल देवयात्रा शनिवार शाम को हिमाचल प्रदेश की अंतर्राज्यीय सीमा मीनस पहुंची। जहां श्रद्धा, आस्था और परंपरा का अद्वितीय संगम देखने को मिला।
जैसे ही महाराज की पालकी हिमाचल की सीमा में प्रविष्ट हुई, पूरा क्षेत्र “जय चालदा महासू महाराज” के गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा। सीमा क्षेत्र में उमड़ा जनसैलाब इस बात का साक्षी बना कि देव परंपराएं आज भी लोगों के जीवन में कितनी गहराई से रची-बसी हैं।
महाराज के हिमाचल आगमन के स्वागत के लिए शिलाई विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों गांवों से हजारों श्रद्धालु मीनस पहुंचे। हालात ऐसे थे कि अंतर्राज्यीय सीमा पर पैर रखने तक की जगह नहीं बची। देवता के दर्शनों के लिए उमड़ी भीड़ बेहद उत्साहित दिखी।
एक ओर उत्तराखंड से आए हजारों भक्तों ने भावुक होकर चालदा महासू महाराज को विदाई दी, वहीं दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश के श्रद्धालु घंटों पहले से सीमा पर डटे रहे, ताकि देवता के प्रथम दर्शन कर सकें। दोनों राज्यों के भक्तों की एक साथ मौजूदगी ने इस देवयात्रा को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बना दिया।
इस पावन अवसर पर देव कला का अद्भुत और दिव्य स्वरूप देखने को मिला। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज, देव नृत्य, धार्मिक अनुष्ठान और सदियों पुरानी लोक परंपराओं ने पूरे क्षेत्र को भक्तिरस में सराबोर कर दिया।
श्रद्धालु भाव-विभोर होकर देवता के जयकारे लगाते रहे और कई लोग आस्था में लीन होकर नतमस्तक दिखाई दिए। विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना और धार्मिक रीति-रिवाजों के पश्चात छत्रधारी चालदा महासू महाराज का हिमाचल प्रदेश में विधिवत और भव्य स्वागत किया गया।
महाराज के आगमन से सीमावर्ती क्षेत्र में उत्सव जैसा माहौल बन गया। घर-घर में दीप प्रज्वलित किए गए और गांवों में विशेष धार्मिक तैयारियां देखने को मिलीं। बताया गया कि चालदा महासू महाराज ने द्राबिल में रात्रि विश्राम किया, जहां देर रात तक भक्तों का तांता लगा रहा।
आज महाराज पश्मी के लिए प्रस्थान करेंगे, जहां उनके लिए निर्मित भव्य मंदिर में वे एक वर्ष तक विराजमान रहेंगे। इसे लेकर पूरे क्षेत्र में पहले से ही उत्साह और श्रद्धा का माहौल बना हुआ है।
देवयात्रा के दौरान प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क नजर आया। उद्योग, संसदीय मामले, श्रम एवं रोजगार मंत्री हर्षवर्धन चौहान स्वयं हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार मीनस पहुंचे और देव यात्रा में भाग लिया। उन्होंने श्रद्धालुओं से शांति और अनुशासन बनाए रखने की अपील की, ताकि सभी भक्त सुचारू रूप से महाराज के दर्शन कर सकें। इससे पूर्व मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने शिलाई, पश्मी और द्राबिल क्षेत्रों में जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
छत्रधारी चालदा महासू महाराज की यह पैदल यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की साझा सांस्कृतिक विरासत और आपसी भाईचारे को भी मजबूती देने वाली सिद्ध हुई। यह आयोजन लंबे समय तक श्रद्धालुओं की स्मृतियों में एक ऐतिहासिक अध्याय के रूप में दर्ज रहेगा।