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March 27, 2025

हिमाचल की वो देवी मां- जिनकी पवित्र झील में नहाने से मिट जाते हैं दुख-दर्द

18 नागों की हैं माता- 11 महीने कोठी के बाहर ही रहता है रथ

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Devi Mata Budhi Nagin

शिमला। देवभूमि हिमाचल के लोगों की देवी-देवताओं से जुड़ी आस्था उनके सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यहां के हर गांव का अपना इष्ट देवता या देवी होती है। हिमाचल के लोग अपने देवी-देवताओं को परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं। यहां के लोग हर खुशी या संकट के समय उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

देवी-देवताओं में गहरी आस्था

हिमाचल के लोगों की यह गहरी धार्मिक आस्था उन्हें न केवल एक-दूसरे से जोड़ती है, बल्कि उनकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए रखती है। उनके लिए देवी-देवता केवल पूजा के प्रतीक नहीं, बल्कि उनके जीवन की शक्ति और प्रेरणा हैं।

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18 नागों की माता

आज के अपने इस लेख में हम आपको हिमाचल की एक ऐसी देवी मां के बारे में बताएंगे- जो 18 नागों की माता है। यह देवी मां 24 कोठी सराज और 18 गढ़ों की पूजनीय हैं और इनका अधिपत्य, कुल्लू, मंडी और शिमला तक फैला हुआ है।

 

मिट जाते हैं सभी दुख-दर्द

मान्यता है कि इन देवी मां की पवित्र झील में नहाने से सारे दुःख-दर्द मिट जाते हैं। हम बात कर रहे हैं देवी मां बूढ़ी नागिन जी की-जिनका मूल स्थान सर्योल्सर झील में है और कोठी घ्याघी में स्थित है। जहां माता बूढ़ी नागिन- देव श्री श्रिंगा ऋषि के साथ शक्ति स्वरुप में विराजती हैं और अपनी हाण गाण में कहती हैं बाछु रा नी बटैल , छेलू आ नी शिऐर।

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असीम शक्तियों की देवी

असीम शक्तियों की देवी- माता बूढ़ी नागिन जी के पास कुल 64 योगिनियों का वास है। मान्यता है कि माता पवित्र सर्योल्सर झील में ही वास करती हैं और अगर आप इस झील के पानी से नहा लेते हैं- तो आपके बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं।

नागों पर टूट पड़ी थी विपत्ति

कथा अनुसार- जब सृष्टि के समस्त नागों पर विपत्ति टूट पड़ी थी- तो देवी मां आदिशक्ति के शरण में जाने पर ही उनका उत्थान हुआ और माता ने स्वयं ही 18 नागों के बीच 18 गढ़ों को बांटकर उन्हें वहां का गढ़पति बनाया।

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बच्चों से मिलने जाती है बूढ़ी नागिन

आज भी मां बूढ़ी नागिन अपने बच्चों से मिलने उनके गढ़ों में भी जाती है और 19 भादो के दिन सर्योल्सर झील में स्नान करने भी जाती हैं। इसी दौरान माता के दरबार में घी लेकर पहुंचे भक्त उसे माता जी के रथ के चारों ओर अर्पित करते हैं।

दूध-घी की नहीं होती कमी

माना जाता है ऐसा करने वाले के घर कभी दूध-घी की कमी नहीं होती। वहीं, ये मां अपने भक्तों के बुलावे पर कभी भी आशीर्वाद देने पहुंच जाती हैं- इसलिए उनका रथ साल के 11 महीने कोठी के बाहर ही रहता है।

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