#राजनीति
June 15, 2025
हिमाचल में दो चेहरों पर सिमटा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद, गुटबाजी से बढ़ी हाईकमान की चुनौती
दिल्ली में जारी खींचतान, सुल्तानपुरी बनाम विनय कुमार की रस्साकशी तेज
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शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में लबे समय से लटका प्रदेश अध्यक्ष पद अब दो चेहरों पर सिमटता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष पद की फेहरिस्त में कई नाम शामिल थे, लेकिन अब गुटबाजी में फंसी कांग्रेस के दो गुटों की ओर से दो नाम सामने आए हैं। जिसमें एक नाम सीएम सुक्खू के करीबी का है, तो दूसरा संगठन से जुड़े वरिष्ठ नेता का नाम है। इन दोनों नेताओं को लेकर पार्टी के दो गुट खुलकर अपनी.अपनी पसंद जाहिर कर चुके हैं। यह दो नाम विनोद सुल्तानपुरी और विनय कुमार हैं।
वर्तमान हालात में प्रदेश कांग्रेस की सियासत पूरी तरह से दो चेहरों विनोद सुल्तानपुरी और विनय कुमार पर सिमटती दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक विनोद सुल्तानपुरी को मुख्यमंत्री सुक्खू का पूरा समर्थन प्राप्त है। लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट दिलाने में भी मुख्यमंत्री की अहम भूमिका रही थी। ऐसे में माना जा रहा है कि हाईकमान उनके नाम को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकता।
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वहीं दूसरी तरफ विनय कुमार को पार्टी के पुराने और पारंपरिक संगठनात्मक धड़े का समर्थन मिल रहा है। अनुसूचित जाति वोटर को साधने के लिए भी कांग्रेस हाईकमान श्री रेणुकाजी विधानसभा से विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार को पार्टी की जिम्मेदारी सौंप सकती है। विनय कुमार पिछले कई दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात के लिए रूके हैं।
प्रदेश में सुल्तानपुरी और विनय कुमार के समर्थकों की हलचल से यह साफ है कि प्रदेश नेतृत्व के चयन को लेकर सियासी रस्साकशी अब निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ रही है। विनय कुमार फिलहाल दिल्ली में ही डटे हुए हैं और उन्होंने कहा है कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे पार्टी के सिपाही हैं और जो आदेश हाईकमान देगा, वह उन्हें स्वीकार होगा।
हिमाचल कांग्रेस की प्रभारी रजनी पाटिल भी पूरे घटनाक्रम पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उन्होंने सुल्तानपुरी से पहले ही बातचीत कर ली थी और उनकी सिफारिश दिल्ली में हाईकमान के समक्ष रखी जा चुकी है। इससे यह स्पष्ट है कि पार्टी नेतृत्व के समक्ष दोनों नामों को लेकर पक्ष-विपक्ष में राय पहुंच चुकी है।
प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है। वीरभद्र सिंह के समय से ही कांग्रेस दो धड़ों में बंटी रही है। अब जबकि नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की घड़ी नजदीक आ रही है, यह गुटबाजी फिर उभरकर सामने आ गई है। एक गुट सत्ता में बैठे नेताओं का है, जबकि दूसरा संगठनात्मक अनुभव और वरिष्ठता का पक्ष ले रहा है।
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प्रदेश कांग्रेस की कमान किसके हाथ में जाएगी, यह अब पूरी तरह से दिल्ली पर निर्भर है। हाईकमान को यह फैसला न सिर्फ संगठनात्मक संतुलन को देखते हुए करना होगा, बल्कि लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी को भी ध्यान में रखते हुए लेना होगा। बहरहाल, हिमाचल कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर चल रही खींचतान आने वाले दिनों में और तेज हो सकती है। देखना यह होगा कि हाईकमान किस गुट को संतुष्ट करता है और किसे प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपता है।