#राजनीति
June 15, 2025
सुक्खू सरकार को केंद्र ने दिया झटका : मनरेगा का बजट रोका, काम ठप- हजारों मजदूरों के रोजगार पर संकट
दिहाड़ी और मैटीरियल पेमेंट लटके, नए प्रोजेक्ट शुरू नहीं
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में मनरेगा अहम योजनाओं में से एक है। इस योजना के जरिए हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। इसी योजना की बदौलत कई लोगों के घरों में चूल्हा जल पाता है। ना जाने क्यों केंद्र सरकार हिमाचल के लोगों के खिलाफ फैसले ले रही है। पहले तो केंद्र सरकार ने हिमाचल सरकार को मनरेगा के कार्य दिवस कम करने को कहा था। अब केंद्र के एक और फैसले ने मनरेगा से जुड़े लोगों को प्रभावित किया है। केंद्र के इस फैसले से कई पंचायतों में मनरेगा का काम ठप हो गया है।
केंद्र सरकार ने पहले मनरेगा में काम के दिनों को कम करवाया। अब बजट भी रोक लिया है। बजट ना होने के चलते नए कार्यों को शुरू नहीं किया जा रहा। जो पुराने काम हैं, उनके भुगतान भी अटके हुए हैं। हिमाचल में इस स्कीम के तहत कई काम होते हैं जैसे जल संरक्षण, सूखा राहत, ग्रामीण संपर्क, बाढ़ नियंत्रण। इसके अलावा इस योजना से ग्रामीण विकास होता है और पर्यावरण की रक्षा भी होती है। इतना ही नहीं इस योजना से ग्रामीण महिलाएं भी सश्क्त बनती हैं। इससे ग्रामीण और शहरी प्रवास भी कम होता है।
हिमाचल सरकार को बीते वित्तीय वर्ष में 397 लाख कार्यदिवस मिले थे। इस वर्ष 407 लाख कार्यदिवस का प्रस्ताव दिया गया था। इस प्रस्ताव पर केंद्र ने कहा कि कार्यदिवस कम कर दिए जाएं यानि 407 लाख कार्यदिवस की जगह 250 लाख कार्यदिवस ही रखे जाएं। बता दें कि केंद्र सरकार के पास करोड़ों रूपये लंबित हैं जो मनरेगा कि दिहाड़ी और मैटीरियल कंपोनेंट दोनों के ही हैं। वहीं केंद्र सरकार के बजट रोकने के फैसले को प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने लोगों के साथ धोखा बताया है।
श्रेणी | आंकड़े |
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जॉब कार्ड की कुल संख्या | 15.53 लाख |
कुल कामगारों की संख्या | 28.86 लाख |
सक्रिय (एक्टिव) जॉब कार्ड | 9.23 लाख |
सक्रिय (सक्रिय) कामगार | 13.69 लाख |
प्रति दिन मनरेगा की दिहाड़ी | ₹232.38 |
ऐसी पंचायतें जिन्होंने एक भी पैसा खर्च नहीं किया | 26 पंचायतें |
मनरेगा का काम कर रहीं ग्राम पंचायतें | 3,616 पंचायतें |