#राजनीति
June 20, 2025
विक्रमादित्य सिंह ने मोदी सरकार की नीति पर उठाए सवाल- ट्रम्प की पाक आर्मी चीफ से मुलाकात पर मचा बवाल
विक्रमादित्य की फेसबुक पोस्ट से गरमाई सियासत
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की वाइट हाउस में हुई मुलाकात को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस कूटनीतिक घटनाक्रम पर सवाल उठाते हुए भारत की अंतरराष्ट्रीय नीति की समीक्षा की जरूरत बताई है।
विक्रमादित्य सिंह ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "भारत का घनिष्ठ मित्र 'नमस्ते ट्रम्प साहब' अब पाकिस्तान के आर्मी चीफ को वाइट हाउस में बिरयानी खिला रहे हैं।"
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उन्होंने तंज भरे लहजे में पूछा कि आखिर कैसे एक दुश्मन देश का सेना प्रमुख अमेरिका जैसे देश के राष्ट्रपति से निजी मुलाकात कर सकता है। मंत्री ने लिखा कि इतिहास में पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी देश के मौजूदा सेना प्रमुख को आधिकारिक रूप से आमंत्रित किया और साथ भोजन किया।
विक्रमादित्य सिंह ने अतीत की घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह अयूब खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ अमेरिका के नेताओं से मुलाकात करते थे, लेकिन तब वे देश के राष्ट्रपति या मार्शल लॉ प्रशासक की भूमिका में थे, सेना प्रमुख के रूप में नहीं।
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इस लिहाज से ट्रम्प और मुनीर की यह भेंट असामान्य और कूटनीतिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील मानी जा रही है।
विक्रमादित्य ने अपनी पोस्ट के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से भारत की मौजूदा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी कूटनीतिक रणनीतियों की गहराई से समीक्षा करनी चाहिए, खासकर तब जब अमेरिका जैसे देश पाकिस्तान की सेना के साथ सीधे संवाद और आतिथ्य में संलग्न हो रहे हों।
बताया जा रहा है कि यह मुलाकात बुधवार को वाइट हाउस के कैबिनेट रूम में हुई थी, जहां दोनों ने बंद कमरे में लंच किया। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली के अनुसार, यह लंच इसलिए रखा गया क्योंकि जनरल मुनीर ने डोनाल्ड ट्रम्प को भारत-पाक संघर्ष के दौरान मध्यस्थता की भूमिका निभाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने की बात कही थी।
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मुनीर ने दावा किया था कि मई में भारत-पाक के बीच सीजफायर ट्रम्प की पहल के चलते ही संभव हो सका।
मजेदार बात यह है कि मुनीर और ट्रम्प की मुलाकात से कुछ घंटे पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प से फोन पर लगभग 35 मिनट लंबी बातचीत की थी। इस दौरान मोदी ने साफ तौर पर कहा था कि 7 से 10 मई तक चले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने आपसी बातचीत से सीजफायर पर सहमति बनाई थी — इसमें किसी बाहरी मध्यस्थ की भूमिका नहीं रही।