#राजनीति

December 22, 2025

पंचायत चुनाव पर जवाब को सुक्खू सरकार ने हाईकोर्ट से मांगा समय, क्या जानबुझ कर की जा रही देरी!

पंचायत चुनाव पर सुक्खू सरकार की मंशा पर सवाल

शेयर करें:

Panchayat Elections

शिमला। हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सुक्खू सरकार की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पंचायत चुनाव में कथित देरी को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में आज यानी सोमवार को सुनवाई हुई, जिसे अब 30 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। राज्य सरकार ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

अनिश्चितकाल तक चुनाव स्थगित नहीं किए जा सकते

यह मामला मुख्य रूप से पंचायत चुनाव समय पर न कराए जाने को लेकर है। इससे पहले गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान भी हाईकोर्ट का रुख सख्त दिखाई दिया था। अदालत ने सरकार से सवाल किया था कि, वह पंचायत चुनाव कराने से क्यों बच रही है। इसी क्रम में आज दोबारा सुनवाई हुई, जिसमें सरकार और राज्य चुनाव आयोग को पहले से जारी नोटिस के तहत जवाब दाखिल करना था।

 

यह भी पढ़ें : IGMC में मरीज को पीटने वाले डॉक्टर पर गिरी गाज, ड्यूटी से हटाया; जा सकती है नौकरी

 

याचिकाकर्ता एडवोकेट मंदीप चंदेल ने जनहित याचिका के माध्यम से समय पर पंचायत चुनाव कराने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि सरकार आपदा का हवाला देकर चुनाव टालने की कोशिश कर रही है, जबकि “डिजास्टर ग्राउंड” की आड़ में अनिश्चितकाल तक चुनाव स्थगित नहीं किए जा सकते। याचिकाकर्ता का तर्क है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए समयबद्ध चुनाव अनिवार्य हैं।

पांच वर्ष से अधिक नहीं हो सकता कार्यकाल 

सरकार की ओर से मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने इससे पहले 8 अक्टूबर को डिजास्टर एक्ट का हवाला देते हुए कहा था कि हालात सामान्य होने के बाद ही पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। इसके अलावा कैबिनेट ने पंचायतों के पुनर्गठन का फैसला भी लिया है। यदि पुनर्गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ती है, तो इसमें दो से ढाई महीने का समय लग सकता है, जिससे तय समय पर चुनाव कराना मुश्किल हो जाएगा।

यह भी पढ़ें : चंदा मांगकर बुरी फंसी सुक्खू सरकार : विरोध बढ़ने के बाद पलटा फैसला, रविवार के दिन ही ऑर्डर जारी

याचिका में संविधान के अनुच्छेद 243-ई और 243-के के साथ हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धाराओं का हवाला दिया गया है। इनमें स्पष्ट है कि किसी भी पंचायत का कार्यकाल पांच वर्ष से अधिक नहीं हो सकता और कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव कराना अनिवार्य है।

लोकतंत्र की जड़ें होंगी कमजोर

याचिकाकर्ता ने कहा कि यदि समय पर चुनाव नहीं हुए तो पंचायत राज संस्थाएं वैधानिक संकट में आ जाएंगी और लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होंगी। राज्य में 3577 पंचायतों और 71 नगर निकायों के चुनाव इसी वर्ष प्रस्तावित हैं, जिनका कार्यकाल 31 जनवरी 2026 को समाप्त हो रहा है।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में जिस्म की लग रही थी बोली : आधी रात को पुलिस ने दलाल समेत पकड़ी 3 महिलाएं

हालांकि राज्य चुनाव आयोग दिसंबर में चुनाव कराने के पक्ष में है, क्योंकि जनवरी में शिमला, मंडी, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, कांगड़ा, कुल्लू और सिरमौर जैसे जिलों में भारी बर्फबारी की आशंका रहती है। अब पंचायत चुनावों का भविष्य पूरी तरह हाईकोर्ट के आगामी फैसले पर टिका हुआ है।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख