#राजनीति
April 14, 2025
मंत्रियों को नहीं है सीएम सुक्खू के आदेश की परवाह, पार्टी दफ्तर-सचिवालय में नहीं बैठते
अफसरों की मनमानी, पार्टी वर्कर्स निराश
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शिमला। बीते 6 माह से बिना संगठन के निष्क्रिय पड़ी कांग्रेस और उधर सीएम सुक्खू के आदेश की नाफरमानी करते सरकार के मंत्री सत्ता के खुमार में इतने डूबे हैं कि पार्टी को ही डुबा दें। वे न तो कांग्रेस के दफ्तर में बैठते हैं और न ही राज्य सचिवालय में। ऐसे में निराश पार्टी वर्कर्स 2027 का विधानसभा चुनाव कैसे जिता पाएंगे?
सीएम सुक्खू ने 2 मार्च 2023 को ऐलान किया था कि उनकी सरकार के सभी मंत्री बारी-बारी से शिमला में कांग्रेस के दफ्तर राजीव भवन में बैठेंगे। इससे पार्टी वर्कर्स और आम जनता को अपनी समस्याएं सुनाने का मौका मिलता। इस तरह पार्टी वर्कर्स की आम जनता से सीधे कनेक्टिविटी बनी रहती।
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कांग्रेस संगठन को जमीनी रूप से मजबूत करने की दिशा में यह एक अहम कदम साबित होता। लेकिन शुरू में तो कांग्रेस के मंत्रियों ने कुछ दिन तक सीएम के आदेश का अनुपालन किया, फिर उसके बाद राजीव भवन में बैठना ही छोड़ दिया। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह भी कई बार पार्टी के विभिन्न मंचों से मंत्रियों की इस नाफरमानी को उठा चुकी हैं।
लेकिन 2 साल से इस गंभीर मुद्दे पर किसी का ध्यान नहीं है। ऊपर से सुक्खू सरकार के मंत्री अब राज्य सचिवालय भी कम ही आते हैं। वे तभी आते हैं, जब कैबिनेट की मीटिंग होती है, या विभागीय बैठक में उनका होना जरूरी होता है। ऐसे में सबसे ज्यादा अनदेखी उन जमीनी कार्यकर्ताओं की हो रही है, जिन्होंने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर कांग्रेस को सत्ता में लाकर खड़ा किया। उनके लिए अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। वह भी ऐसे समय, जब कांग्रेस की हिमाचल प्रदेश कार्यकारिणी ही 6 माह से भंग है।
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अब अगर सुक्खू सरकार के मंत्री राज्य सचिवालय में बैठने भी लगें तो भी समस्या का हल नहीं निकल सकता, क्योंकि वहां तक पहुंचना हर कांग्रेसी वर्कर के लिए मुमकिन नहीं है। बिना एंट्री पास के सचिवालय में आम कार्यकर्ता नहीं घुस पाता। इसीलिए मंत्रियों का राजीव भवन स्थित कांग्रेस कार्यालय में बैठना जरूरी है।
सुक्खू सरकार के कई मंत्रियों के राज्य सचिवालय में नियमित रूप से न बैठने के कारण विभागीय फाइलों का अंबार लगातार बढ़ रहा है। वहीं, राज्य के दूर-दराज के इलाकों से अपना काम करवाले आने वाले लोगों को अक्सर यही सुनना पड़ता है कि मंत्रीजी अभी दफ्तर में नहीं है। मजबूरन, लोगों को अफसरों तक अपनी बात रखनी पड़ती है और यहां हिमाचल प्रदेश की नौकरशाही अपनी मनमानी करती है। इसी के कारण अब हिमाचल प्रदेश में यह चर्चा आम है कि सीएम सुक्खू की सरकार मंत्री नहीं, मंत्रालय के अफसर चला रहे हैं।