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April 14, 2025

हिमाचल: न बोली, न मंजूरी- पंचायतों की संपत्तियां किराए पर दीं, सरकार को करोड़ों का चूना लगा

जांच की आंच पंचायत प्रधानों तक पहुंची

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शिमला। पंचायती कानूनों को ताक पर रखकर हिमाचल प्रदेश की पंचायतों की संपत्तियों को मनमाने तरीके से लीज पर दिया गया, जिससे सरकार को करोड़ों का चूना लगा है। आर्थिक तंगी से जूझ रही हिमाचल सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें निशाने पर पंचायत प्रधान आ रहे हैं।

3 माह में हुआ पूरा खेल

लीज पर देने के लिए न तो पंचायतों ने टेंडर निकाले और न ही विभागीय मंजूरी ली। ये पूरा घोटाला बीते 3 माह में हुआ है। लेकिन शिमला, कांगड़ा में यह मामला सामने आने के बाद अब सरकार ने सभी 3615 पंचायतों में घोटाले की जांच के आदेश दिए हैं।

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सभी जिलों के डीसी से कहा गया है कि वे अपने जिलों में पंचायती संपत्तियों को लीज पर देने के मामलों की पहचान करें और जांच कर मामले की रिपोर्ट सरकार को सौंपें।

50 रुपए महीने का किराया

पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 112 में यह साफ कहा गया है कि पंचायती निकायों के परिसर या व्यावसायिक परिसरों, भवन और अन्य संपत्तियों को लीज पर देने के लिए पहले तो विभागीय अनुमति की जरूरत होगी, फिर इनके लिए टेंडर निकाले जाने चाहिए, ताकि सरकारी खजाने को अधिकतम लाभ मिले।

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लेकिन पंचायतों के प्रधानों ने इन नियमों को ताक पर रख दिया। कांगड़ा जिले की रैत पंचायत में दुकानों को 50 रुपए के किराए पर और सरकारी विभागों को मुफ्त में संपत्तियां लीज पर दी गई हैं। रजोल में 200 रुपए प्रतिमाह के किराए पर और शिमला में टूट ब्लॉक की चायली पंचायत में 20 दुकानों को 400 से 900 रुपए के किराए पर दिया गया है।

पीडब्लूडी तय करता है किराया

नियम कहता है कि किराए की दरें पीडब्लूडी तय करेगा। यह दरें बाजार दर पर तय की जाती हैं। इसके लिए अखबारों में विज्ञापन देने का नियम है। अब सरकार ने बीते 5 साल में लीज पर दी गई संपत्तियों को रद्द करने के लिए कहा है।

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आगे से लीज अवधि 5 साल के लिए होगी। सरकार ने पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर निगरानी समितियों के गठन के निर्देश दिए हैं। पंचायत स्तरीय समिति में बीडीओ अध्यक्ष, पंचायत सचिव सदस्य और पंचायत प्रधान व पंचायत निरीक्षक सदस्य होंगे।

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