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September 25, 2025

सुक्खू सरकार पर भड़के जयराम: बोले-किसानों का सबकुछ हो गया बर्बाद, सुध लेने ना CM - ना मंत्री आए

जयराम का सवाल केंद्र से मिला पैसा कहां खर्च कर रही सुक्खू सरकार

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Jairam thakur attack cm sukhu

लाहौल-स्पीति। हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में हाल ही में हुई भारी बारिश और आपदा ने ना सिर्फ जनजीवन को अस्त-व्यस्त किया, बल्कि स्थानीय किसानों की आर्थिकी पर भी बड़ा प्रहार किया है। खासकर लाहौल घाटी में किसानों की एकमात्र नकदी फसल गोभी भारी नुकसान की चपेट में आ गई है। खेतों में तैयार खड़ी गोभी की फसल बारिश के चलते सड़ चुकी है, जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है।

लाहौल घाटी के किसानों से मिले जयराम

ऐसे संकट के बीच अब सियासत भी गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर खुद लाहौल घाटी पहुंचे, जहां उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर किसानों और स्थानीय लोगों से मुलाकात की। उन्होंने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों का सब कुछ बर्बाद हो गया लेकिन कांग्रेस सरकार इससे पूरी तरह से बेखबर है। ना तो मुख्यमंत्री और ना ही कोई मंत्री अब तक लाहौल घाटी की सुध लेने आया है। ऐसे समय में जब किसान अपने जीवन की सबसे बड़ी आर्थिक आपदा से जूझ रहे हैं, सरकार की चुप्पी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

 

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गोभी और मटर की फसलें बर्बाद

लाहौल घाटी में किसानों की आजीविका मुख्यतः मटर और गोभी की खेती पर निर्भर है। लेकिन इस साल प्राकृतिक आपदा ने दोनों ही फसलों को बर्बाद कर दिया। पहले खराब सड़कों के चलते मटर की फसल मंडियों तक नहीं पहुंच सकी और अब बारिश ने गोभी की फसल को खेतों में ही सड़ा दिया। किसानों की मेहनत और निवेश दोनों मिट्टी में मिल गए हैं। जयराम ठाकुर ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि “अगर सरकार ने तुरंत राहत नहीं दी, तो सर्दियों में हालात और बिगड़ सकते हैं। बर्फबारी का दौर कभी भी शुरू हो सकता है, और उससे पहले ही पीड़ितों तक सहायता पहुंचाना जरूरी है।”

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सरकार को आंखें खोलनी होंगी

जयराम ठाकुर ने दौरे के दौरान शाशिन, कोकसर, सिस्सू, टेलिंग, ट्रिलिंग, यांगला, गोंदला, तांदी संगम घाट, जालमा, लिंडूर, जसराट, जोबरांग, मयार वैली, टिंगरेट और उदयपुर वैली जैसे आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और लोगों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने बताया कि लिंडूर गांव की ज़मीन धंस रही है और गांव के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। हालिम गांव में 45 परिवारों की खेती योग्य जमीन बह चुकी है, जिसे वापस नहीं लाया जा सकता। उन्होंने सरकार से मांग की कि बचे हुए क्षेत्र को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर कदम उठाए जाएं।

 

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केंद्र से मिली राहत कहां गई? विपक्ष का सवाल

जयराम ठाकुर ने राज्य सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई राहत राशि का सही उपयोग नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने हिमाचल प्रदेश को आपदा राहत के लिए करीब 5500 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी है, और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1500 करोड़ का विशेष पैकेज भी घोषित किया है। लेकिन यह पैसा आपदा पीड़ितों तक नहीं पहुंच रहा, बल्कि सरकार अपनी व्यवस्था चलाने में खर्च कर रही है,” ठाकुर ने कहा। उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि इस फंड का पारदर्शी तरीके से उपयोग किया जाए और राहत सीधे प्रभावित लोगों को दी जाए।

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राजनीतिक बयानबाजी के बीच किसानों को राहत की आस

इस पूरे घटनाक्रम ने लाहौल-स्पीति के किसानों की पीड़ा को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। जहां एक ओर नेता प्रतिपक्ष ने सरकार की आलोचना कर किसानों को समर्थन देने का भरोसा जताया है, वहीं राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नजर नहीं आ रहा है। किसानों को डर है कि अगर जल्द राहत नहीं मिली, तो न केवल उनकी मौजूदा फसलें, बल्कि भविष्य की खेती भी संकट में पड़ जाएगी। बर्फबारी से पहले राहत पहुंचाना अब सरकार के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं।

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