#राजनीति
September 2, 2025
आर्थिक संकट से जूझ रहा हिमाचल, सरकारी गाड़ियों में परिवार घुमा रहे अधिकारी; सदन में उठा मामला
भाजपा विधायक बोले-आर्थिक संकट के बीच फिजूलखर्ची नहीं होनी चाहिए
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शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन सोमवार को सदन में प्रदेश की कमजोर आर्थिक स्थिति पर गहन चर्चा हुई। इस दौरान विपक्ष ने न केवल सरकार को कई सुझाव दिए, वहीं अधिकारियों द्वारा सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग को लेकर भी तीखी टिप्पणियां कीं। खासकर सरकारी गाड़ियों के इस्तेमाल को लेकर अधिकारियों को घेरा गया।
विपक्ष के कई विधायकों ने आरोप लगाया कि राज्य के अधिकारी सरकारी वाहनों का निजी कार्यों और परिवारजनों को घुमाने के लिए गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। भाजपा विधायक डॉ हंसराज ने सवाल उठाया कि जब अधिकारी तीन-चार विभाग संभाल रहे हैं, तो उनके परिवार के सदस्यों को घुमाने के लिए इतनी गाड़ियां क्यों दी जा रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान आपदा और आर्थिक संकट के समय इस तरह की फिजूलखर्ची स्वीकार्य नहीं है।
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इसी मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस विधायक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि चंडीगढ़ में एक अधिकारी की सरकारी गाड़ी बिना किसी औपचारिक कार्य के घूमती देखी गई। उन्होंने नियम 130 के तहत संसाधनों की वृद्धि के लिए नीति निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया और सरकार से इस तरह के दुरुपयोग पर रोक लगाने की मांग की।
विधानसभा में प्रदेश की बिगड़ती वित्तीय स्थिति पर भी व्यापक चर्चा हुई। भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने चिंता जताते हुए बताया कि प्रदेश पर इस समय 1.12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है और 5558 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा है। उन्होंने कहा कि व्यय अधिक है और आय कम, जिससे प्रदेश की आर्थिक रीढ़ कमजोर हो रही है। उन्होंने यह भी उजागर किया कि हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन का कार्यालय 17 लाख रुपये मासिक किराए पर निजी भवन में चल रहा है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पिछली ढाई वर्षों में अधिकारियों के माध्यम से जो योजनाएं बनाई गई थीं, वे अब धरातल पर उतर रही हैं और इसके सकारात्मक परिणाम जल्द दिखाई देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों को खोलने का कोई लाभ नहीं जब उनमें विद्यार्थी ही नहीं हैं।
प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से सुझाव भी सामने आए। कांग्रेस विधायक आशीष बुटेल ने कहा कि केवल हिमाचल ही नहीं, केंद्र सरकार भी कर्ज के भारी दबाव में है। उन्होंने कहा, 100 रुपये में से 70 रुपये वेतन और पेंशन पर खर्च हो रहे हैं, जो कि गंभीर वित्तीय असंतुलन को दर्शाता है। उन्होंने घाटे में चल रही निगमों को बंद करने और सिक्किम मॉडल को अपनाते हुए लॉटरी और कैसिनो जैसे विकल्पों पर विचार करने का सुझाव दिया।
कांग्रेस विधायक राम कुमार ने पर्यटन क्षेत्र के विकास की संभावनाओं पर बल देते हुए रोपवे परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने उद्योग लगाने के लिए जिन जमीनों को एक रुपये के लीज पर दिया था, अब उन जमीनों की खुलेआम बिक्री हो रही है। भवानी सिंह पठानिया ने कहा कि लोन के जरिए ही हिमाचल में विकास संभव हुआ है, लेकिन अब जरूरत है कि ऊर्जा, पर्यटन और कृषि जैसे मूल क्षेत्रों में सुधार लाया जाए ताकि राज्य की आय में वृद्धि हो सके।