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June 16, 2025

दिल्ली में खड़गे से मिले विनय कुमार, मिलेगी हिमाचल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी ?

रजनी पाटिल की रिपोर्ट के बाद दिल्ली तलब किए थे विनय कुमार

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Vinay Kumar Delhi

शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के पुनर्गठन को लेकर दिल्ली दरबार में इन दिनों गहमागहमी तेज हो गई है। इसी कड़ी में रविवार को विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार ने नई दिल्ली में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की। यह बैठक केवल एक शिष्टाचार मुलाकात नहीं थी, बल्कि इसे कांग्रेस के संगठनात्मक समीकरणों को नए सिरे से गढ़ने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।

विनय कुमार का नाम लगभग तय

पार्टी सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओ के बीच की यह हिमाचल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर एक अहम बैठक थी। इस बैठक के बाद अब माना जा रहा है कि विनय कुमार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी जा सकती है। हालांकि यह मुलाकात तय समय से एक दिन देर से हुई, लेकिन इसके राजनीतिक मायने कहीं अधिक गहरे हैं। यह केवल संभावित प्रदेशाध्यक्ष को राय लेने की कवायद नहीं, बल्कि हिमाचल कांग्रेस में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने की बड़ी कोशिश का हिस्सा थी।

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दलित कार्ड पर दांव

हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग का बड़ा वोटबैंक है, लेकिन पार्टी में इस वर्ग का प्रतिनिधित्व सीमित ही रहा है। अगर मौजूद कांग्रेस की सरकार और संगठन की बात करें तो इसमें प्रदेशाध्यक्ष के पद पर एक राजपूत प्रतिभा सिंह बैठी हैं। वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी एक राजपूत है। दूसरी तरफ प्रदेश के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण वर्ग से आते हैं। मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति समुदाय से दो मंत्री जरूर हैं जिसमें धनी राम शांडिल और यादविंदर गोमा हैं। लेकिन संगठन की शीर्ष कमान अब भी सवर्ण जातियों के पास है।

 

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कांग्रेस हाईकमान अब इसी जातीय अंसतुलन को संतुलित करने की योजना बना रही है। इस असंतुलन को देखते हुए पार्टी हाईकमान अब दलित चेहरे को प्रदेशाध्यक्ष बनाने की दिशा में गंभीर है। इस पृष्ठभूमि में विनय कुमार का नाम सबसे ऊपर है, जो न केवल अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं, बल्कि विधानसभा उपाध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर भी आसीन हैं।

सुल्तानपुरी बनाम विनय कुमार

अनुसूचित जाति वर्ग से ही एक अन्य नाम पूर्व विधायक विनोद सुल्तानपुरी का भी चर्चा में है। दोनों नेताओं का सामाजिक आधार लगभग समान है, लेकिन विनय कुमार को विधानसभा उपाध्यक्ष के रूप में पहले से जिम्मेदारी देने से उन्हें एक किस्म की प्रशासनिक अनुभवी छवि मिलती है। इसके अलावा वह वर्तमान सत्ताधारी गुट के अधिक समीप माने जाते हैं, जिससे उनके नाम पर सहमति बनने की संभावना अधिक है।

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रजनी पाटिल की रिपोर्ट के बाद दिल्ली बुलाए थे विनय कुमार

वहीं अभी हाल ही में हिमाचल प्रभारी रजनी पाटिल ने भी अपनी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंप दी है। इस रिपोर्ट को देखने के बाद ही हाईकमान ने हिमाचल विधानसभा के उपाध्यक्ष विनय कुमार को दिल्ली बुलाया था। ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा है कि हिमाचल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान अब विनय कुमार को मिल सकती है। 

सात माह से बिन संगठन चल रही सरकार

प्रदेश कांग्रेस की जिला व ब्लॉक इकाइयां पिछले सात महीनों से भंग हैं। इससे न केवल पार्टी की जमीनी पकड़ कमजोर हुई है, बल्कि सरकार और संगठन के बीच समन्वय की कमी भी उभर कर सामने आई है। पार्टी में अंदरखाने चल रही गुटबाजी और मुख्यमंत्री सुक्खू के बढ़ते एकाधिकारवादी रवैये के चलते संगठनिक कार्यों में ठहराव आ चुका है। वहीं इसी साल के अंत में पंचायत चुनाव भी होने वाले हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए कांग्रेस जल्द से जल्द प्रदेश अध्यक्ष सहित कार्यकारिणी का गठन करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहती है। 

 

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निर्णायक मोड़ पर प्रदेश अध्यक्ष पद

प्रदेश अध्यक्ष पद और कार्यकारिणी के गठन को लेकर प्रभारी रजनी पाटिल भी दो बार हिमाचल आ चुकी हैं और यहां के नेताओं से एक एक कर बात कर चुकी है। अब रजनी पाटिल ने भी अपनी रिपोर्ट हाईकमान को सौंप दी है। जिसमें संगठन में जल्द नियुक्तियों और संतुलन साधने की सिफारिश की गई है। इसी रिपोर्ट के बाद विनय कुमार को दिल्ली तलब किया गया था। जो बताता है कि मामला अब निर्णायक मोड़ पर है।

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2027 की तैयारी कर रही कांग्रेस

हिमाचल कांग्रेस की मौजूदा स्थिति महज नेतृत्व परिवर्तन का मामला नहीं है, बल्कि यह 2027 की राजनीतिक तैयारी का शुरुआती अध्याय है। हाईकमान इस बार सियासी समीकरणों को नए सिरे से साधने की फिराक में है। यदि विनय कुमार को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलती है तो यह न केवल संगठन में दलित नेतृत्व को स्थापित करेगा, बल्कि यह संकेत भी देगा कि कांग्रेस अब परंपरागत नेतृत्व से हटकर प्रयोगधर्मी रणनीति की ओर बढ़ रही है।

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