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June 16, 2025

हिमाचल आ रही है वर्ल्ड बैंक की टीम- 2,000 करोड़ के प्रोजेक्ट पर रहेगी नजर, फंडिंग पर पड़ेगा सीधा असर

सुधारों की रफ्तार और पारदर्शिता पर होगी नजर

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world bank himachal

शिमला। हिमाचल प्रदेश में चल रहे वर्ल्ड बैंक समर्थित पावर डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट की समीक्षा एक बार फिर से होने जा रही है। करीब 2000 करोड़ रुपये की लागत वाले इस ऊर्जा सुधार कार्यक्रम को लेकर वर्ल्ड बैंक की एक उच्च स्तरीय टीम जुलाई महीने में राज्य का दौरा करेगी। टीम इस बात की समीक्षा करेगी कि पिछली बैठकों और दौरे के दौरान तय किए गए टास्क कितनी प्रगति के साथ पूरे हुए हैं।

समीक्षा से पहले फिर दबाव में विभाग

विश्व बैंक द्वारा पिछली समीक्षा के दौरान कुछ कार्यों की सराहना की गई थी, खासकर एसएलडीसी (State Load Dispatch Centre) में स्काडा इम्प्रूवमेंट और इंटीग्रेटिड रिसोर्स प्लानिंग से जुड़ी पहल की। लेकिन साथ ही यह भी कहा गया था कि कुछ अहम टास्क, जैसे कि सिंगल ट्रेडिंग डेस्क की स्थापना अभी तक अधूरी है, जिसे तुरंत पूरा करने के निर्देश दिए गए थे।

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फंड रिलीज से जुड़ा है यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट का मामला

पिछली समीक्षा में वर्ल्ड बैंक ने यह स्पष्ट किया था कि जब तक प्रोजेक्ट के अंतर्गत चल रहे कार्यों का यूटीलीज़ेशन सर्टिफिकेट (UC) नहीं मिलेगा, तब तक आगे की फंडिंग रोकी जा सकती है। अब विभागीय स्तर पर तेजी लाते हुए हिमाचल की ओर से UCs भेजे जाने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है।

चार विभागों को मिल रही है आर्थिक मदद

इस प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल के चार प्रमुख ऊर्जा निकायों को आर्थिक सहायता दी जा रही है:

  • ऊर्जा निदेशालय
  • हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड लिमिटेड (HPSEBL)
  • हिमाचल ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन
  • हिमाचल पावर कॉरपोरेशन

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इन सभी निकायों को अपने-अपने सेक्टर में सुधार के लिए धन उपलब्ध कराया गया है, जिसमें ट्रांसमिशन लाइनें, पावर स्टेशन अपग्रेडेशन और वितरण प्रणाली से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।

13 शहरों में बिजली अपग्रेडेशन पर खास नजर

वर्ल्ड बैंक की टीम इस बार 13 शहरों में बिजली व्यवस्था में सुधार से जुड़े कार्यों की फील्ड समीक्षा भी करेगी। इनमें ट्रांसमिशन लाइन सुधार, स्मार्ट मीटरिंग, और सिस्टम लॉस को कम करने की दिशा में उठाए गए कदमों को देखा जाएगा।

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तकनीकी खामियां बनी चिंता का विषय

वर्ल्ड बैंक ने खासतौर पर तकनीकी पक्षों पर नाराजगी जाहिर की थी कि सिंगल ट्रेडिंग डेस्क की स्थापना में देरी हो रही है। हालांकि,  ये सिस्टम हिमाचल को बिजली बेचने-खरीदने की पारदर्शी प्रणाली में मदद करता। जिसके बाद सरकार ने इस दिशा में आदेश तो जारी किए हैं, मगर जमीन पर क्रियान्वयन अभी भी कमजोर है।

 

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