#राजनीति
May 18, 2025
हिमाचल: सुक्खू सरकार ने केंद्र से मांगे 600 करोड़, पत्र लिख बजट जारी करने की उठाई मांग
मंत्री अनिरूद्ध बोले-केंद्र सरकार कर रही हिमाचल से भेदभाव
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत चल रहे विकास कार्य ठप हो गए हैं। कारण है केंद्र सरकार द्वारा करीब 600 करोड़ रुपए की लंबित राशि का अब तक जारी न होना। इसको लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने केंद्र पर साफतौर पर उपेक्षा का आरोप लगाया है और स्थिति को राजनैतिक भेदभाव करार दिया है।
सुक्खू सरकार का कहना है कि पुराने वित्तीय वर्ष की बकाया राशि के चलते मजदूरों और परियोजनाओं से जुड़े कर्मचारियों का वेतन रुका हुआ है। साथ ही निर्माण सामग्री की भी भारी देनदारी अटकी पड़ी है। ऐसे में हिमाचल की सुक्खू सरकार ने केंद्र को पत्र लिख कर मनरेगा के करीब 600 करोड़ रुपए जारी करने की मांग उठाई है।
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मनरेगा के तहत केंद्र सरकार ने निर्देश दिए हैं कि इसके लिए अलग बैंक खाते खोले जाएंए ताकि फंड का उपयोग केवल इसी योजना के लिए हो। हिमाचल सरकार ने पंचायत स्तर पर खाता खोलने के लिए कुछ समय मांगा है, लेकिन केंद्र की ओर से न तो पुराने बजट को मंजूरी दी गई और न ही नए वित्तीय वर्ष के लिए कोई विशेष राहत मिली।
प्रदेश भर में इस समय एक लाख से अधिक मनरेगा परियोजनाएं रुकी पड़ी हैं। इससे 9.18 लाख सक्रिय जॉब कार्ड धारकों की आजीविका पर सीधा असर पड़ा है। वहीं, कुल 15.51 लाख जॉब कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से अधिकांश को रोजगार की प्रतीक्षा है।
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बीते तीन वर्षों में मनरेगा के तहत कार्य दिवसों में भी लगातार कटौती हुई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 350 लाख दिवस थे जो 2024-25 में 300 लाख दिवस और अब 2025-26 में 250 लाख दिवस कर दिए हैं। ऐसे में बजट में कटौती हुई है। राज्य सरकार का कहना है कि इस कटौती के पीछे भी केंद्र की बजट नीति में बदलाव और राज्यों को कम प्राथमिकता देना है।
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प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार का व्यवहार पारदर्शिता और संघीय ढांचे की भावना के विपरीत है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों को बजट में प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि हिमाचल जैसे विपक्ष शासित राज्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है। मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि हमने बार.बार पत्र लिखे, बार-बार अनुरोध किया, लेकिन केंद्र से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया। मनरेगा जैसे जनकल्याणकारी कार्यक्रम को राजनीतिक नजरिए से देखना दुर्भाग्यपूर्ण है।