हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की अदला-बदली से सियासी गलियारों में गहमा-गहमी बढ़ गई है। जून में होने वाले छह विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए जहां बीजेपी ने कांग्रेस के सभी बागी विधायकों को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, अब कांग्रेस बीजेपी के नाराज नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाने में जुट गई है।
रणजीत सिंह राणा ने थामा कांग्रेस का हाथ
कांग्रेस की ओर से बीते शुक्रवार को तीन सीटों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गई। जिसमें कुटलैहड़ से विवेक शर्मा, गगरेट से राकेश कालिया और सुजानपुर से कैप्टन रणजीत सिंह राणा का नाम शामिल है। जबकि, अभी धर्मशाला, बड़सर और लाहौल-स्पीति से उपचुनाव लड़ने के लिए किसी भी प्रत्याशी का नाम तय नहीं किया गया है।
राजेंद्र और रणजीत दोनों ही धूमल के करीबी
बता दें कि सुजानपुर विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के दोनों ही प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल के करीबी रहे हैं। बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे राजेंद्र राणा का धूमल के साथ गुरु शिष्य का रिश्ता रहा है। राजेंद्र राणा धूमल को अपना गुरु मानते हैं।
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वहीं दूसरी तरफ रणजीत सिंह राणा भी धूमल के बेहद करीबी हैं। साल 2022 में प्रेम कुमार धूमल ने जब विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था, तब उन्होंने रणजीत सिंह राणा को सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था।
कमल से मिली थी हार, हाथ से मिलेगी जीत?
इस विधानसभा चुनाव में रणजीत सिंह राणा ने बीजेपी के लिए कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिसमें वह महज 399 वोटों से हारे थे।
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वहीं, अब कांग्रेस ने उन्हें बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतारा है। ऐसे में इस बार सुजानपुर सीट पर राजेंद्र राणा और रणजीत सिंह के बीच मामला काफी दिलचस्प होगा।
बीजेपी छोड़ कांग्रेस का देंगे साथ
गौरतलब है कि उपचुनाव के लिए बीजेपी ने कांग्रेस के बागी नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी की ओर से उपचुनाव की टिकट ना मिलने के कारण पार्टी से नाराज चल रहे कैप्टन रणजीत राणा को कांग्रेस ने पार्टी टिकट दी है।
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