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April 18, 2025

हिमाचल-पंजाब में वार-पलटवार का सिलसिला जारी, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा शानन प्रोजेक्ट का मामला

शानन प्रोजेक्ट पर हिमाचल-पंजाब टकराव, सुप्रीम कोर्ट में केस

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शिमला। हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बीच लंबे समय से चले आ रहे शानन पावर प्रोजेक्ट विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। इस बार मामला और भी गरम हो गया है क्योंकि हिमाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री द्वारा दिए गए बयान पर पंजाब की सियासत में हलचल तेज हो गई है।

खत्म हो गई है 99 साल की लीज

डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि शानन प्रोजेक्ट पूरी तरह से हिमाचल प्रदेश की संपत्ति है और प्रदेश इस पर किसी भी कीमत पर अपना दावा नहीं छोड़ेगा।

 

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उन्होंने कहा कि यह विवाद पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता, क्योंकि न तो मंडी कभी पंजाब का हिस्सा रहा है और न ही शानन पावर प्रोजेक्ट की ज़मीन पंजाब की रही है। उन्होंने कहा कि शानन परियोजना हिमाचल की ज़मीन पर स्थापित है और 99 साल की लीज का समझौता, जो 1925 में हुआ था, मार्च 2024 में समाप्त हो चुका है

अपने अधिकारों की लड़ाई लडेगा पंजाब

इस बयान के जवाब में पंजाब सरकार की ओर से सख्त प्रतिक्रिया आई है। आप नेता और पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि चाहे कोई भी पद पर बैठा हो मुख्यमंत्री हो या उपमुख्यमंत्री पंजाब अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ेगा।

 

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उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट को लेकर पंजाब सरकार प्रशासनिक और कानूनी दोनों स्तरों पर आखिरी सांस तक संघर्ष करेगी। उनके मुताबिक कोई भी हिमाचल हो या कोई अन्य राज्य पंजाब के हिस्से में सेंध नहीं लगा सकता।

मंडी के राजा ने लीज पर दी थी जमीन

डिप्टी सीएम अग्निहोत्री ने यह भी कहा कि अब जब लीज समाप्त हो चुकी है, हिमाचल सरकार इस पावर प्रोजेक्ट को अपने अधिकार में लेने के लिए अग्रसर है। उन्होंने पंजाब से अपील की कि यदि वह हिमाचल को बड़े भाई की तरह मानता है, तो उसे यह प्रोजेक्ट सौंप देना चाहिए, ताकि प्रदेश की जनता को उनका हक मिल सके। गौरतलब है कि 1925 में मंडी रियासत के राजा ने भारत सरकार को 99 साल की लीज पर यह ज़मीन दी थी, जिस पर यह पावर प्रोजेक्ट बना।

 

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अब लीज की अवधि पूरी हो चुकी है, मगर पंजाब सरकार इस प्रोजेक्ट को छोड़ने को तैयार नहीं है और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। हिमाचल सरकार भी कानूनी मोर्चे पर अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रही है।

अभी और गरमा सकता है मामला

इस प्रकरण ने दोनों राज्यों के बीच एक नई टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। जहां हिमाचल इसे क्षेत्रीय स्वाभिमान और संसाधनों का सवाल मान रहा है, वहीं पंजाब इसे अपने अधिकार की रक्षा के तौर पर देख रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और ज्यादा गरमा सकता है, खासकर जब दोनों राज्यों की सरकारें सियासी मोर्चे पर आमने-सामने हों।

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