#राजनीति
October 9, 2025
हिमाचल में टाल दिए गए पंचायत चुनाव: जयराम ने कहा- हार देखकर भाग रही सरकार
सोशल मीडिया पर पहले ही लेटर वायरल
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शिमला| हिमाचल प्रदेश में दिसंबर में प्रस्तावित पंचायत और नगर निकाय चुनाव अब टल गए हैं। राज्य सरकार ने आपदा से बिगड़े हालात को देखते हुए यह फैसला लिया है। हालांकि, इस निर्णय के सामने आते ही भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर करारा हमला बोला है और इसे “हार के डर से लिया गया कदम” बताया है।
भाजपा का हमला: “मिस्टर हिमाचल को चुनावों का डर”
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “करारी हार देखकर अब पंचायत चुनावों से भी भाग रही है सुक्खू सरकार।” उन्होंने कहा कि सरकार प्रशासनिक ढाल के पीछे छिपकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से भाग रही है।
वहीं, धर्मशाला से भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने भी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि “जिलाधीशों से पंचायती राज और शहरी विकास विभाग के सचिवों को पत्र लिखवाए जा रहे हैं कि डिजास्टर एक्ट लागू है, आधारभूत ढांचा ठीक नहीं है, इसलिए पंचायत और निकाय चुनाव स्थगित किए जाएं।” सुधीर शर्मा ने तंज कसते हुए कहा – “अगर इन चुनावों का इतना डर है, तो अपने चुनावों का ख़ौफ़ कैसा होगा ‘मिस्टर हिमाचल’ को?”
आपदा के हालात और प्रशासनिक तर्क
दूसरी ओर, सरकार ने चुनाव टालने का आधार हालिया आपदा को बताया है। कार्यवाहक मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने शिमला, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर के डीसी को पत्र जारी करते हुए कहा कि भारी मानसूनी तबाही के बाद राज्य में हालात सामान्य नहीं हैं। कई जगह सड़कें और संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हैं, और प्रशासनिक मशीनरी राहत व पुनर्वास कार्यों में जुटी हुई है।
मुख्य सचिव ने यह आदेश राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 24 (उपधारा e) के तहत जारी किए हैं। पत्र में कहा गया है कि जब तक सड़क व रास्तों की “प्रॉपर कनेक्टिविटी” बहाल नहीं होती, तब तक चुनाव कराना संभव नहीं है।
डीसी के पत्र पहले ही हुए थे वायरल
इससे पहले कुछ जिलों के उपायुक्तों द्वारा पंचायती राज सचिव को लिखे गए पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इनमें साफ कहा गया था कि वर्तमान परिस्थितियों में पंचायत चुनाव व्यावहारिक नहीं हैं, क्योंकि अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी आपदा राहत कार्यों में लगे हुए हैं। डीसी ने सरकार से डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत आवश्यक आदेश जारी करने की सिफारिश भी की थी।
इलेक्शन कमीशन की तैयारियां अधर में
उधर, राज्य चुनाव आयोग नवंबर-दिसंबर में पंचायत और नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारियां पहले से कर रहा था। जिलों में मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशित किया जा चुका है और आरक्षण रोस्टर तैयार करने के निर्देश भी जारी हैं।
लेकिन आयोग के पास अपनी स्वतंत्र स्टाफिंग नहीं है - चुनावों के संचालन के लिए उसे 50,000 से अधिक कर्मचारियों की जरूरत होती है, जो राज्य सरकार ही उपलब्ध कराती है। वर्तमान हालात में प्रशासनिक सहयोग न मिलने की स्थिति में आयोग के लिए चुनाव कराना लगभग असंभव हो जाएगा।