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June 17, 2025

प्रतिभा सिंह की विदाई तय- विनय कुमार को मिल सकती है हिमाचल कांग्रेस की कमान, सुक्खू-अग्निहोत्री गुट सहमत

दिल्ली में सक्रिय राजनीति, हाईकमान से मुलाकातें जारी

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शिमला। हिमाचल कांग्रेस संगठन में बहुप्रतीक्षित फेरबदल अब अंतिम दौर में है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इस सिलसिले में विनय कुमार बीते कुछ दिनों से दिल्ली में डटे हुए हैं।

दिल्ली में मुलाकातों का सिलसिला जारी

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात के बाद विनय कुमार हिमाचल कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल और खरगे के राजनीतिक सलाहकार सांसद डॉ. सैयद नासिर हुसैन से भी मिले। इन मुलाकातों को संगठन में बड़ा बदलाव लाने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।

 

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सुक्खू-अग्निहोत्री दोनों सहमत

विनय कुमार अनुसूचित जाति (SC) वर्ग से आते हैं और वर्तमान में श्री रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे पहले प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं और वीरभद्र सिंह सरकार में सीपीएस के पद पर कार्य कर चुके हैं। जातीय संतुलन और संगठन में व्यापक प्रतिनिधित्व देने की दृष्टि से पार्टी हाईकमान उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नया संदेश देना चाहती है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्रीदोनों ने विनय कुमार के नाम पर मौखिक सहमति जता दी है।

अध्यक्ष पद की दौड़ में थे कई नाम

पिछले कई महीनों से हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष पद खाली है। प्रतिभा सिंह का कार्यकाल प्रभावी ढंग से समाप्त हो चुका है, और वे लोकसभा चुनाव से पहले ही संगठन से दूरी बना चुकी थीं। अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता इच्छुक थे, जिनमें कुलदीप राठौर, चंद्र कुमार, सुधीर शर्मा, अजय महाजन और राजेश धर्माणी जैसे नाम सामने आए। लेकिन लगातार टकराव, गुटबाजी और संगठन-सत्ता के बीच खिंचाव के चलते हाईकमान को नॉन-कॉन्ट्रोवर्शियल और मध्यमार्गी चेहरा चाहिए था जो विनय कुमार के रूप में मिला।

 

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अगर बने अध्यक्ष, तो खाली होगा विधानसभा उपाध्यक्ष का पद

यदि विनय कुमार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाता है, तो उनके वर्तमान पद विधानसभा उपाध्यक्ष को खाली करना पड़ेगा। इस अहम पद के लिए कांग्रेस के भीतर रस्साकशी शुरू हो चुकी है। मंडी जिले के धर्मपुर से विधायक चंद्रशेखर, मनाली के भुवनेश्वर गौड़ और ज्वालामुखी के संजय रतन जैसे नाम संभावित दावेदारों में हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष का पद एक संवैधानिक जिम्मेदारी होती है, इसलिए इसका राजनीतिक और प्रतीकात्मक महत्व भी काफी अधिक है।

प्रतिभा सिंह की विदाई तय

और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी रही। प्रतिभा सिंह और CM सुक्खू के बीच दूरियां लगातार चर्चा में रहीं। संसदीय बोर्ड की बैठकों से लेकर मीडिया बयानों तक दोनों खेमों के मतभेद खुलकर सामने आए। इसी खींचतान के चलते पार्टी लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष पद पर कोई स्थायी नियुक्ति नहीं कर सकी। इस दौर में पार्टी की दो पावर सेंटर वाली स्थिति ने संगठन को नुकसान भी पहुंचाया। अब हाईकमान उसी स्थिति को समाप्त कर एक मजबूत, सर्वमान्य और जातीय प्रतिनिधित्व वाला चेहरा सामने लाना चाहता है।

 

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क्या बदलेगी प्रदेश कांग्रेस की दिशा?

विनय कुमार की ताजपोशी अगर होती है तो यह न केवल जातीय संतुलन का प्रतीक होगी, बल्कि यह भी संकेत देगी कि पार्टी अब संगठनात्मक एकता और जमीन से जुड़े नेताओं को महत्व दे रही है। उनकी छवि एक संयमित, सुलझे और निर्विवाद नेता की रही है, जो पार्टी के भीतर कई धड़ों को साथ जोड़ सकती है।

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