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May 1, 2025

हिमाचल: कांग्रेस की संविधान बचाओ रैली की तैयारी बदल गई 'पार्टी बचाओ' के नारों में

प्रतिभा सिंह के सामने फिर उजागर हुई गुटबाजी 

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प्रतिभा सिंह से मांगा इस्तीफा

बिलासपुर। हिमाचल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की अनदेखी का नतीजा गुरुवार को तब नजर आ गया, जब संविधान बचाओ रैली की तैयारियों के लिए आए वर्कर्स पार्टी बचाने के लिए आपस में ही भिड़ गए।

 
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के सामने ही कार्यकर्ताओं ने सुक्खू सरकार की अनदेखी, पार्टी में छाई गुटबाजी और भितरघात के विरोध में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद बैठक में ही कार्यकर्ताओं के दो गुटों में नोंकझोंक शुरू हो गई। अगर पार्टी के सीनियर नेताओं ने बीच-बचाव नहीं किया होता तो नौबत सिर फुटव्वल तक आ सकती थी। 

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कल रैली को लीड करेंगी प्रतिभा सिंह

प्रतिभा सिंह संविधान बचाओ रैली का आगज करने के मकसद से बिलासपुर आई हैं। उन्हें शुक्रवार को रैली को लीड करना है। लेकिन जैसी कि उम्मीद की जा रही थी, कांग्रेस पार्टी के नए संगठन के ऐलान में 6 महीने की देरी ने कार्यकर्ताओं के सब्र पर गहरा असर डाला है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के संगठन और सरकार के बीच बढ़ते फासले को लेकर पहले भी कई स्तरों पर शिकायतें हुई थीं। लेकिन इस बड़े कार्यक्रम से पहले प्रदेश अध्यक्ष के सामने कार्यकर्ताओं का गुस्सा इस कदर फूटने को पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। 

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प्रतिभा सिंह से मांगा इस्तीफा

दोपहर करीब 12 बजे जब सर्किट हाउस के बाहर प्रतिभा का स्वागत हो रहा था, तभी पूर्व विधायक बंबर ठाकुर समर्थकों ने नारेबाजी शुरू की। उसके बाद पूर्व विधायक तिलकराज समर्थकों ने भी नारेबाजी शुरू की दी। कार्यकर्ताओं ने सुक्खू सरकार में मंत्री राजेश धर्माणी और पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर के पक्ष में भी नारे लगाए। इसके बाद सभी मीटिंग के लिए कांग्रेस कार्यालय इंदिरा भवन पहुंचें। वहां काली भेड़ें और तिलक राज मुर्दाबाद के नारे लगने लगे।

 

 ऐसे में मामला तनावपूर्ण हो गया और नौबत हाथापाई तक की आ गई। अल्पसंख्यक समुदाय के कार्यकर्ता साबरदीन ने प्रतिभा सिंह से ही अध्यक्ष पद से इस्तीफे की मांग कर डाली। मंच पर मौजूद पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने कार्यकर्ताओं से संयम बरतने की अपील की, और कहा कि इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। तब जाकर माहौल शांत हुआ।

रैली के भविष्य पर सवाल 

कांग्रेस की संविधान बचाओ रैली जिला, विधानसभा सीट के स्तर पर और आखिर में घर-घर के आधार पर होगी। राजनीतिक विश्लेषकों ने पहले ही चेताया था कि पार्टी की नई कार्यकारिणी के ऐलान में देरी रैली के भविष्य पर सवाल खड़े कर सकती है। बिलासपुर में गुरुवार को यह चेतावनी सही साबित हुई। रैली के लिए कार्यकर्ताओं को जुटाने की जिम्मेदारी एनएसयूआई को सौंपी गई है, लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच भिड़ंत ने सारी तैयारियों पर पानी फेर दिया है। 

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जब आगाज ऐसा है तो अंजाम कैसा होगा 

इस गुटबाजी को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का अब मानना है कि अगर संविधान बचाओ रैली का आगाज ही इस तरह का है तो अंजाम के बारे में सोचा जा सकता है। उनका मानना है कि रैली को हरी झंडी दिखाने से पहले पार्टी आलाकमान को कम से कम जिलाध्यक्षों की नियुक्ति कर ही देनी थी। हालांकि, अब काफी देर हो चुकी है।

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