#राजनीति
August 7, 2025
हिमाचल की बेटियों को सुक्खू सरकार देगी 1500 रुपए, योजना को मंजूरी; महिलाओं ने उठाए सवाल
सीएम की बजट घोषणा बेटियों को 1500 रुपए देने की कवायत शुरू
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में 21 साल की उम्र पूरी करने वाली बेटियों को बड़ा तोहफा दिया है। सीएम सुक्खू ने इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना के तहत 21 वर्ष की बेटियों को 1500 रुपए मासिक देने की मंजूरी प्रदान की है। यह बजट घोषणा 1 जनवरी 2025 से 31 मार्च 2026 के बीच आयु पूरी करने वाली बेटियों के लिए है। इन बेटियों को पंचायतों से मंजूर आवेदनों की जांच के बाद यह राशि मिलेगी। सरकार की इस वजट घोषणा को पूरा करने के लिए कवायद शुरू हो गई है।
हालांकि सरकार की इस वजट घोषणा ने एक बार फिर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश की लाखों महिलाएं पिछले अढ़ाई साल से 1500 - 1500 रुपए मिलने का इंतजार कर रही हैं। महिलाओं में रोष है कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले वादा किया था कि सरकार बनने पर कांग्रेस प्रदेश की हर महिला को 1500-1500 रुपए सम्मान निधि देगी। लेकिन सरकार को बने अढ़ाई साल का समय बीत चुका है, और अभी तक सरकार महिलाओं से दिया वादा पूरा नहीं कर पाई है।
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बता दें कि हिमाचल प्रदेश में महिलाओं के लिए बहुप्रतीक्षित "1500 रुपये सम्मान राशि" योजना अब राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता में आने से पहले और फिर बजट भाषणों में बार.बार यह वादा किया कि प्रदेश की महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये की सम्मान निधि दी जाएगी। लेकिन अढ़ाई साल बीत जाने के बाद भी लाखों महिलाएं अब तक इस योजना के लाभ से वंचित हैं।
हाल ही में सुक्खू सरकार ने "इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना" के तहत एक और नई घोषणा की है, जिसमें 1 जनवरी 2025 से 31 मार्च 2026 के बीच 21 वर्ष की आयु पूरी करने वाली बेटियों को 1500 रुपये प्रतिमाह दिए जाने की बात कही गई है, लेकिन इस ऐलान के साथ ही पुरानी योजना की धीमी रफ्तार और वादों की हकीकत पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
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कांग्रेस पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा की थी कि 18 वर्ष से अधिक उम्र की हर महिला को 1500 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। इस वादे ने महिलाओं में एक नई उम्मीद जगाई थी, खासकर उन परिवारों में जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू ने इसे कई बार दोहराया भी, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बहुत अलग है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अभी तक केवल 42,000 महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह की सम्मान राशि दी जा रही है, जबकि राज्य में ऐसी पात्र महिलाओं की संख्या लाखों में है। इसके अतिरिक्त जिन महिलाओं को यह राशि मिलनी चाहिए थी, वे अभी भी पंचायतों में आवेदन और वेरिफिकेशन की लंबी प्रक्रिया में उलझी हुई हैं।
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अब नई योजना में उन बेटियों को शामिल किया गया है जो 2025 से 2026 के बीच 21 साल की होंगी। यह फैसला एक तरफ उम्मीद जगाता है] तो दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा करता है कि पुरानी योजनाओं का क्या हुआ? लाखों महिलाएं जिनसे चुनावी मंचों पर वादे किए गए थे, वे आज भी इस इंतजार में हैं कि कब उनके खाते में 1500 रुपये आएंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों की कई महिलाओं ने शिकायत की है कि वे बार-बार आवेदन करने के बावजूद या तो पंचायत से मंजूरी नहीं मिल रही, या फिर उनका वेरिफिकेशन फाइलों में ही अटका हुआ है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है, क्या यह योजना केवल एक राजनीतिक स्टंट बनकर रह गई है?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावी वादों को योजनाओं में तब्दील करना जितना जरूरी होता है] उतना ही जरूरी है उनका समय पर और पारदर्शी तरीके से क्रियान्वयन। लेकिन सुक्खू सरकार की यह योजना कागजों में तेजी से बढ़ती दिख रही है, जबकि जमीन पर इसका असर बहुत सीमित है। सवाल यह भी है कि क्या आगामी चुनावों से पहले सरकार इन नई घोषणाओं के ज़रिए अपनी छवि चमकाने की कोशिश कर रही है, जबकि पुरानी योजनाओं पर अब तक अमल ही नहीं हो पाया है? क्या यह हिमाचल की बेटियों और महिलाओं के साथ एक तरह का धोखा नहीं है?