#राजनीति
October 29, 2025
हिमाचल CM ने वित्त मंत्री से की मुलाकात : PM पैकेज और लोन लिमिट बढ़ाने की रखी मांग
GST कंपनसेशन का बंद होना नुकसानदायक
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नई दिल्ली/शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य की आर्थिक चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की और हिमाचल की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए कई अहम मांगें रखीं।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने सबसे पहले राज्य की ऋण सीमा बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश अपनी जीडीपी का केवल 3.5 प्रतिशत तक ही ऋण ले सकता है, जबकि पूर्व भाजपा सरकार को 5 प्रतिशत तक उधार लेने की अनुमति थी। मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि राज्य के विकास कार्यों को जारी रखने और बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने के लिए यह सीमा फिर से 5 प्रतिशत की जाए।
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सीएम ने बताया कि हिमाचल को वित्तीय नुकसान का एक बड़ा कारण जीएसटी कंपनसेशन का बंद होना है। जून 2022 से राज्य को लगभग 3500 करोड़ रुपये की भरपाई नहीं मिल पाई है, जिससे राजस्व पर गंभीर असर पड़ा है। इसके साथ ही, रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट भी 2020-21 में 10,249 करोड़ रुपये से घटकर 2024 में मात्र 3,257 करोड़ रह गई है। उन्होंने कहा कि यह अंतर राज्य के बजट पर भारी दबाव डाल रहा है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्र सरकार से ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर भी राहत देने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि ओपीएस बहाल करने के बाद केंद्र ने राज्य की 1,600 करोड़ रुपये की एडिशनल बोर्रोइंग लिमिट रोक दी है, जबकि यह राशि कर्मचारियों के हित और राज्य की आर्थिक स्थिरता दोनों के लिए आवश्यक है। उन्होंने इस निर्णय को पुनर्विचार के लिए वित्त मंत्री के समक्ष रखा।
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उन्होंने बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हिमाचल की प्राकृतिक आपदाओं की भरपाई के लिए घोषित 1,500 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को तुरंत जारी करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने 10 सितंबर को अपने शिमला दौरे के दौरान यह वादा किया था, लेकिन डेढ़ महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक यह राशि प्रदेश को प्राप्त नहीं हुई है।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को यह भी बताया कि पिछले तीन वर्षों में हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक आपदाओं से लगभग 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं में 1,300 से अधिक लोगों की जान गई और हजारों परिवार बेघर हुए। उन्होंने कहा कि राज्य की भौगोलिक स्थिति कठिन है और ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र की सहायता अत्यंत आवश्यक है।
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बैठक के दौरान सीएम सुक्खू ने वित्त मंत्री को जीएसटी लागू होने के बाद हुए नुकसान का भी ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि हिमाचल एशिया की 35 प्रतिशत फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री का केंद्र है, विशेष रूप से बद्दी क्षेत्र में। पहले इस सेक्टर से राज्य को लगभग 3,500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद यह घटकर मात्र 150 करोड़ रुपये रह गया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक सीमांत और पहाड़ी राज्य है, जहां संसाधन सीमित हैं और विकास की लागत मैदानी राज्यों की तुलना में कहीं अधिक होती है। इसलिए केंद्र को वित्तीय सहायता और नीति निर्माण में इन विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए।