#राजनीति
October 11, 2025
हिमाचल BJP में CM पद पर मचा घमासान: नेताओं के बाद अब पदाधिकारियों-समर्थकों में छिड़ी जं*ग
हिमाचल भाजपा में सीएम पद की दावेदारी ने जगजाहिर की गुटबाजी
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मंडी। हिमाचल प्रदेश भाजपा में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर पार्टी के भीतर बढ़ती खींचतान ने संगठन के भीतर हलचल मचा दी है। विधानसभा चुनाव को अभी दो साल का समय शेष है, लेकिन उससे पहले ही हिमाचल भाजपा में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। जिससे पार्टी के अंदर की गुटबाजी एक बार फिर जगजाहिर हो गई है। सीएम पद की दावेदारी को लेकर जयराम ठाकुर और अनुराग ठाकुर के समर्थकों के बीच सोशल मीडिया पर चल रही जुबानी जंग ने पार्टी की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 2027 के विधानसभा चुनाव में अभी दो साल से भी कम समय बचा है, लेकिन इस गुटबाजी ने विधानसभा चुनावों की तैयारियों को प्रभावित करने की आशंका बढ़ा दी है।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री पद की संभावित दावेदारी को लेकर शुरू हुई फूट अब सीधे कार्यकर्ताओं और स्थानीय पदाधिकारियों तक फैल गई है। फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर दोनों गुट एक-दूसरे पर निशाने साध रहे हैं, जिससे पार्टी नेतृत्व को स्थिति को नियंत्रित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के पक्ष में नारे लगाने को लेकर विवाद तेज हुआ, तो प्रदेश महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष अंबिका सूद ने सफाई दी कि किसी नेता के समर्थन में नारे लगाना अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि अनुराग ठाकुर हिमाचल के बेटे हैं, भाजपा के नेता हैं, और प्रतियोगिता विपक्ष के खिलाफ होनी चाहिए, अपनों के खिलाफ नहीं।।
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भाजपा आइटी सेल की महिला पदाधिकारी डिंपल ठाकुर की एक फेसबुक पोस्ट ने पार्टी के भीतर नया विवाद पैदा कर दिया। डिंपल ने सवाल उठाया कि कौन सा वाला कार्यकर्ता चाहता है... जो 2022 के विधानसभा और 2024 के उपचुनाव में कांग्रेस को वोट दिलवाता है?” और अनुराग ठाकुर के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए पूछा कि क्या भाजपा के किसी पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा मुख्यमंत्री बना है। इस पोस्ट ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अलग.अलग गुटों को और मजबूत किया।
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पार्टी नेतृत्व ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। जयराम समर्थक आरसी शर्मा और अनुराग समर्थक महेश सिपहिया के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। विवादित पोस्टों को हटाया जा चुका है, लेकिन पार्टी में छिड़ी यह अंदरूनी जंग फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रही। नेतृत्व की चिंता इस बात को लेकर है कि सोशल मीडिया पर गुटबाजी कांग्रेस को मुफ्त में राजनीतिक मुद्दा दे सकती है।
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हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, जो नवंबर या दिसंबर में प्रस्तावित हैं। राजनीतिज्ञों का कहना है कि पार्टी के भीतर इस तरह की गुटबाजी दो साल पहले ही शुरू होना आगामी चुनाव के लिए संकेत है। यदि पार्टी संगठन समय रहते इस अंदरूनी संघर्ष को नियंत्रित नहीं कर पाती, तो विपक्ष को लाभ मिल सकता है।