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August 11, 2025
कांग्रेस हाईकमान ने फिर दिल्ली तलब किए CM सुक्खू, एक-दो दिन में नया प्रदेश अध्यक्ष मिलना तय !
कांग्रेस में सियासी खीचंतान के बीच दूसरी बार दिल्ली बुलाए सीएम सुक्खू
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शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में लंबे समय से लंबित संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर अब हलचल तेज हो गई है। प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी के गठन और नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर पार्टी के भीतर गहन मंथन चल रहा है। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को कांग्रेस हाईकमान ने एक ही सप्ताह में दूसरी बार दिल्ली तलब कर लिया है। राजनीतिक गलियारों में सीएम सुक्खू के दूसरी बार दिल्ली बुलावे को प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर अंतिम चरण की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।
बता दें कि मुख्यमंत्री सुक्खू सोमवार सुबह शिमला के चमियाणा में रोबोटिक सर्जरी के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए थे, लेकिन कार्यक्रम के बाद ही उन्हें दिल्ली से बुलावा आ गया। जिसके चलते अब सीएम सुक्खू दिल्ली रवाना हो रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक अब एक-दो दिन के भीतर प्रदेश कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल सकता है। कांग्रेस हाईकमान ने अभी करीब एक सप्ताह पहले ही हिमाचल के सभी बड़े कांग्रेस नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक की थी। अब एक सप्ताह के भीतर ही सीएम सुक्खू का दोबारा दिल्ली दौरा राजनीतिक गलियारों में गरमाहट लाने लगा है।
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई नामों पर चर्चा हो रही है, लेकिन वर्तमान राजनीतिक समीकरणों में रोहित ठाकुर का नाम लगभग तय माना जा रहा है। वे मुख्यमंत्री सुक्खू के करीबी माने जाते हैं और संगठनात्मक अनुभव भी रखते हैं। हालांकि, पार्टी नेतृत्व क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को भी साधने की कोशिश में है।
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वहीं, मुख्यमंत्री सुक्खू ने हाईकमान को एक लिखित प्रस्ताव भेजकर यह सुझाव भी दिया है कि नए प्रदेश अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति समुदाय के नेता को दिया जाए। उनका तर्क है कि राज्य की लगभग 27 फीसदी आबादी दलित समुदाय से है और इस वर्ग में कांग्रेस को अपनी पकड़ मज़बूत करनी चाहिए। वहीं सीएम सुक्खू ने किसी कैबिनेट मंत्री को भी प्रदेश अध्यक्ष बनाने की पैरवी की है। बशर्ते वह वन मैन, वन पोस्ट सिद्धांत के तहत मंत्री पद छोड़ने को तैयार हो।
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वहीं, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह पहले ही अपना असंतोष सार्वजनिक कर चुकी हैं। दिल्ली में हुई बैठकों के बाद उन्होंने साफतौर पर कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की राजनीतिक विरासत की अनदेखी पार्टी को भारी पड़ सकती है। उन्होंने याद दिलाया कि वीरभद्र की लोकप्रियता और उनके नाम पर ही कांग्रेस ने पिछला विधानसभा चुनाव भारी बहुमत से जीता था।
प्रतिभा सिंह के तेवरों से साफ है कि वह प्रदेश नेतृत्व से हटने को सहज नहीं हैं। उन्होंने बार-बार कार्यकारिणी के गठन की मांग उठाई थी, लेकिन पिछले नौ महीनों से प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी भंग है और नया गठन नहीं हो पाया है।
प्रदेश कांग्रेस में जारी खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री सुक्खू पार्टी में सामाजिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने की बात कर रहे हैं, वहीं प्रतिभा सिंह पार्टी की पुरानी विरासत और जनाधार का हवाला दे रही हैं। दोनों की अपनी.अपनी राजनीतिक स्थिति और ताकत है, लेकिन हाईकमान को अब यह तय करना है कि संगठन को किस दिशा में लेकर जाना है।