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September 1, 2025
सीएम सुक्खू ने 3 दिन सत्र बढ़ाने की रखी मांग, जयराम बोले-4 दिन गायब रहे अब बढ़ाने की कर रहे बात
जयराम बोले आपदा के समय सत्र से ज्यादा जरूरी लोगों की मदद
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शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र अपने अंतिम चरण में है, लेकिन सत्र की समाप्ति से ठीक पहले प्रदेश की आपदा स्थिति और उस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं ने सदन के भीतर और बाहर माहौल को गर्मा दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रदेश को आपदाग्रस्त घोषित करने और सत्र को तीन दिन बढ़ाने के प्रस्ताव ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
मुख्यमंत्री ने सदन में बोलते हुए कहा कि प्रदेश में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ के कारण अभूतपूर्व नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल को आपदाग्रस्त राज्य घोषित करना वक्त की जरूरत है, ताकि केंद्र सरकार से अधिक सहायता ली जा सके। साथ ही उन्होंने मांग रखी कि विधानसभा सत्र को तीन दिन के लिए आगे बढ़ाया जाए ताकि लंबित प्रश्नों और विधायकों की बातों को समुचित मंच मिल सके।
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मुख्यमंत्री के वक्तव्य के तुरंत बाद विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश आपदा से जूझ रहा था, उस समय मुख्यमंत्री राज्य में उपस्थित नहीं थे। चंबा जैसे दूरस्थ क्षेत्र में लोग फंसे थे, लेकिन मुख्यमंत्री बिहार में एक राजनीतिक कार्यक्रम में व्यस्त थे। नेता प्रतिपक्ष ने यह भी दावा किया कि उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के सदन में दिए गए आंकड़ों में असंगति है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं 15,000 श्रद्धालुओं के फंसे होने की बात मानी, जबकि पहले यह संख्या 10,000 बताई गई थी। ऐसे गंभीर समय में सरकार को सटीक और पारदर्शी जानकारी देनी चाहिए, न कि भ्रम फैलाना चाहिए।
चंबा जिले में हुई आपदा के दौरान मणिमहेश यात्रा पर भी सवाल उठे। जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार ने यात्रा के दौरान न तो पर्याप्त व्यवस्था की और न ही समय रहते राहत पहुंचाई। हर वर्ष यात्रा के दौरान किराए पर लिए गए हेलीकॉप्टर मौजूद होते हैं, लेकिन इस बार सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद तक नहीं ली गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने अब तक 16 लोगों की मौत स्वीकार की है, लेकिन हालात उससे कहीं ज्यादा गंभीर हैं। श्रद्धालु कई किलोमीटर तक पैदल लौटे और जमीनी हालात ने सरकारी मशीनरी की पोल खोल दी।
मुख्यमंत्री द्वारा सत्र बढ़ाने के प्रस्ताव को विपक्ष ने पूरी तरह खारिज कर दिया। जयराम ठाकुर ने कहा कि जब राज्य में आपदा जैसी स्थिति हो, तो विधायकों की प्राथमिकता अपने क्षेत्र में राहत पहुंचाना होनी चाहिए, न कि विधानसभा में बैठे रहना। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह सत्र का विस्तार कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री का सदन में आना जरूरी था, लेकिन वे चार दिन बाद पहुंचे और आते ही बयानबाजी शुरू कर दी।
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गौरतलब है कि यह मानसून सत्र 18 अगस्त से शुरू होकर 2 सितंबर तक निर्धारित था। इस बार पहली बार 12 बैठकें आयोजित की जा रही हैंए जबकि आमतौर पर मानसून सत्र में 5 से 7 बैठकें ही होती हैं।