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September 1, 2025

देहरा उपचुनाव में 'कैश फॉर वोट' मामले को दबा रही सुक्खू सरकार, सत्र से प्रश्न हटाने के लगाए आरोप

विपक्षी विधायकों ने सदन में जानकारी छिपाने के लिए प्रश्न हटाने के लगाए आरोप

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sudhir sharma dehra by election

 

शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में देहरा विधानसभा उपचुनाव को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। अब इस उपचुनाव को लेकर कैश फॉर वोट का गंभीर मामला फिर से तूल पकड़ता नजर आ रहा है। विपक्ष के वरिष्ठ भाजपा विधायक सुधीर शर्मा, त्रिलोक जमवाल और आशीष शर्मा ने विधानसभा परिसर में सरकार पर न सिर्फ चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया, बल्कि यह भी दावा किया कि सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने जानबूझकर विधानसभा में इस मुद्दे को सवालों की सूची से हटा दिया, ताकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर को मिले राजनीतिक लाभ पर पर्दा डाला जा सके।

महिला मंडलों के जरिए कैश फॉर वोट

विपक्ष का आरोप है कि देहरा उपचुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होने के बावजूद सरकार ने कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक के माध्यम से 68 महिला मंडलों को अनुचित ढंग से वित्तीय लाभ पहुंचाया। इसके साथ ही लगभग 1,000 महिलाओं के खातों में सीधे 4,500 रुपये ट्रांसफर किए गए। भाजपा नेताओं का दावा है कि इस राशि का वितरण मतदाताओं को लुभाने के लिए किया गया था।

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धर्मशाला से भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने दावा किया कि इन वित्तीय लेनदेन की पुष्टि उन्हें सूचना का अधिकार RTI के जरिए प्राप्त दस्तावेजों से हुई है। उन्होंने कहा कि जब इस विषय में विधानसभा के प्रश्नकाल के दौरान सवाल उठाए गए, तो वे प्रश्न सूची में होने के बावजूद हटा दिए गए।

सीएम की पत्नी कमलेश ठाकुर को लाभ पहुंचाने का आरोप

विपक्ष ने इस पूरे घटनाक्रम को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर से भी जोड़ा है, जो देहरा उपचुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी थीं। भाजपा नेताओं ने सवाल उठाया कि क्या ये सारा तंत्र कमलेश ठाकुर को चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं चलाया गया था। पूर्व विधायक होशियार सिंह द्वारा इस मामले को लेकर हिमाचल उच्च न्यायालय में दायर याचिका का भी जिक्र किया गया, जिसमें पूरे उपचुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।

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विधानसभा में सवालों को दबाने का आरोप

भाजपा विधायक त्रिलोक जमवाल ने सरकार पर विधानसभा की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नियम संख्या 52 और 53 के तहत सदन में सूचीबद्ध प्रश्नों को बिना सदस्य की अनुमति के हटाया नहीं जा सकता। उन्होंने दावा किया कि एक्साइज नीति से जुड़े उनके सवाल भी प्रश्नकाल से हटा दिए गए। यह दर्शाता है कि सरकार जानबूझकर पारदर्शिता से बच रही है।

 

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पर्यटन निगम और अन्य मुद्दों पर भी उठे सवाल

इसके अतिरिक्त विपक्ष ने आरोप लगाया कि पर्यटन निगम के होटलों से संबंधित प्रश्न भी हटाए गए। भाजपा नेताओं ने सवाल उठाया कि यदि सरकार के पास छिपाने को कुछ नहीं है, तो प्रश्नों को सूची से हटाने की जरूरत क्यों पड़ी?

 

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विपक्ष की मांग,  निष्पक्ष जांच कराए सरकार

विपक्ष ने पूरे मामले की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की है और कहा है कि यदि सरकार सच में बेदाग है, तो उसे विधानसभा में इन सभी मुद्दों पर खुली चर्चा कर तथ्यों को सामने लाना चाहिए।

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