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September 16, 2025
सीएम सुक्खू का PM मोदी पर तंज: 1500 करोड़ तो नहीं मिले, राजनीतिक लाभ को मंत्री जरूर भेज दिए
सीएम सुक्खू बोले केंद्र से अभी तक नहीं मिले 1500 करोड़
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून ने भारी तबाही मचाई है। जानमाल से लेकर बुनियादी ढांचे तक, हर तरफ नुकसान ही नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हालात की गंभीरता को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि केवल केंद्रीय मंत्रियों के दौरे से आपदा राहत का समाधान नहीं होगा, इसके लिए ठोस वित्तीय मदद और विशेष राहत पैकेज की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि इस बार की बरसात ने राज्य को गहरा घाव दिया है। बीती रात को सुंदरनगर के निहरी क्षेत्र में भारी बारिश के कारण तीन लोगों की मौत हो गई। प्रदेश की सिंचाई, बिजली और पेयजल परियोजनाओं को व्यापक नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में हिमाचल प्रदेश को करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। सीएम ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता जानमाल के नुकसान को कम करना है। राज्य सरकार युद्धस्तर पर राहत कार्य कर रही है। जिनके घर पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं, उन्हें 7.70 लाख रुपये तक की राहत राशि दी जा रही है।
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मुख्यमंत्री ने मौजूदा आपदा के पीछे जलवायु परिवर्तन को भी एक प्रमुख कारण बताया। उन्होंने कहा कि लगातार बदलते मौसम पैटर्न ने हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए नई चुनौतियां खड़ी की हैं। इसके चलते बागबानी पर भी गहरा असर पड़ा है, जिससे किसान और बागवान दोनों संकट में हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य में सरकार नदियों और नालों के किनारे बनने वाली संरचनाओं को लेकर सख्ती बरतेगी। अब कोई भी सरकारी संस्थान नदी से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर ही बनेगा। धर्मपुर बस स्टैंड का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि नदी के पास होने के कारण सिर्फ बसों को ही करीब 6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्र सरकार की आपदा प्रबंधन नीति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट के तहत 2023 में हिमाचल के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की सहायता का आकलन किया गया था। इसके बावजूद अब तक केवल 400 करोड़ रुपये की एक किश्त, वो भी दो साल बाद जारी हुई है।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अभी हाल ही में हिमाचल के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया था और प्रदेश को 1500 करोड़ की राहत राशि देने की घोषणा की थी। लेकिन अभी तक यह राहत प्रदेश को नहीं मिली है। हमें यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह राशि विशेष पैकेज है, योजना आधारित है या सिर्फ घोषणा तक सीमित है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपने मंत्रियों को हिमाचल भेजकर सिर्फ राजनीतिक हाईप बना रही है। केंद्रीय मंत्रियों के दौरे से न बिजली बहाल होगी, न सड़कें बनेंगी और न ही लोगों को खाना मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा 1500 करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की गई थी, लेकिन अब तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। अगर यह सहायता वास्तविक है तो इसे जल्द से जल्द जारी किया जाए।
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कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर के आमरण अनशन पर बोलते हुए सीएम सुक्खू ने कहा कि जो मुद्दे उन्होंने उठाए हैं, उन पर केंद्र सरकार को गंभीर होना चाहिए। केंद्र के अधिकारी जब किसी योजना की DPR बनाएं, तो स्थानीय इंजीनियरों से भी सलाह लें। मुख्यमंत्री ने बताया कि उनके व्यक्तिगत अनुरोध पर विधायक ने अपना अनशन समाप्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हिमाचल की संस्कृति सहानुभूति और संवेदनशीलता से भरी है, लेकिन आज हमें केवल भावनात्मक समर्थन नहीं, बल्कि वित्तीय सहायता चाहिए। हिमाचल को पूरे राज्य को आपदा प्रभावित घोषित किया जा चुका है, ऐसे में केंद्र को जल्द से जल्द मदद करनी चाहिए।”
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मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि अब राज्य की नजरें प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1500 करोड़ रुपये की सहायता राशि पर टिकी हैं। उन्होंने भाजपा नेताओं से भी अपील की कि वे प्रधानमंत्री से आग्रह करें कि हिमाचल के लिए विशेष वित्तीय पैकेज को तुरंत जारी किया जाए ताकि प्रभावित परिवारों को राहत मिल सके।